चर्चा-ए-आमराष्ट्रीयस्लाइडर

आज की ये सियासत क्या है !

  • ट्रंप बार-बार झूठ क्यों बोल रहे हैं
  • सुप्रीम कोर्ट की दुर्गति भी कर रहे हैं सियासी नेता
  • क्या हम सियासी कलयुग की तरफ बढ़ रहे हैं

जो हमने उनसे पूछा सियासत क्या है
जाम हाथ से गिरा और टूट गया।

कमल सेखरी
सियासत क्या है इसका जवाब शायद आज किसी के पास नहीं है। वो भी आज की सियासत इसका जवाब तो खैर किसी के पास है ही नहीं। यह मामला पूरी दुनिया पर लागू होता है और खास तौर पर भारत पर तो यह लागू होता ही होता है। बीते दिन अमेरिका में इजराइल एंबेसी के बाहर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई जिसमें दो वरिष्ठ अधिकारियों की मौत हो गई। आरोप गाजा पटटी, फिलीस्तीन और ईरान के मुस्लिम आतंकियों पर लगा दिया गया। अमेरिकी पे्रजीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम बदला जरूर लेंगे और साथ ही यह भी जता दिया कि अमेरिका के पास 14 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली टारगेटिड मिसाइल है और हमने सीमा की हवाई सुरक्षा गोल्डन कवच भी तैयार कर लिया है, मतलब सीधी-सीधी ईरान को धमकी। सियासत का एक रूप हमने ये भी देखा कि पूरी दुनिया को भारत-पाक युद्ध में क्या हुआ इसका स्पष्टीकरण देने हमने कई देशों में राजनीतिक दलों की संयुक्त टीमें बनाकर भेजी जबकि वही सब दल दूसरी ओर भारत में एक दूसरे के साथ गंदे-गंदे आरोप लगाते हुए कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ते नजर आ रहे हैं। सियासत का एक रूप यह भी सामने आया है कि भारत-पाक के बीच चले क्षदम युद्ध में दोनों ही देश अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। जहां भारत में एक ओर सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए तिरंगा विजय यात्राएं निकाली जा रही हैं वहीं पाकिस्तान अपना मुंह छुपाने के लिए लिए अपने देश में जीत की खुशी मना रहा है और उसने सेनापति आसिफ मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजने के साथ-साथ कई और सेन्य अधिकारियों के पदों में भी तरक्की कर दी। इंटरनेशनल राजनीति का एक रूप यह भी सामने आया कि अमेरिका के प्रेजीडेंट लगभग दस बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि हमने भारत पाकिस्तान को धमका कर सीज फायर का ऐलान कराया। भारत के कई छुटभैया नेता इस मामले में ट्रंप को झूठा तो ठहरा रहे हैं लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने प्रेजीडेंट ट्रंप के इस बयान का एक बार भी सरकारी तौर पर खंडन नहीं किया। नेशनल पालिटिक्स में भी पिछले लंबे समय से जो गंदगी और कीचड़ उछाला जा रहा है ऐसा पहले कभी नहीं देखा। एक सीनियर सांसद सहित संवैधानिक पद पर बैठे शीर्ष नेताओं ने भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय पर ही कई गंभीर आरोप लगाए हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट को एंटी नेशलिस्ट कहने के साथ-साथ धार्मिक उन्माद फैलाने का माध्यम भी बताया है। राज्यसभा के अध्यक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट को पानी की बंद बोतल में कीड़ों की संज्ञा देकर उसे बंद अलमारी में कंकाल तक कहकर कई प्रश्न उठाए हैं। देश की पहलवान बेटियां जिन्होंने देश को कई स्वर्ण पदक दिलाये उन्हें सड़क पर बालों से खींचकर जूतों की ठोकरों तक से मारा गया। यह तो कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो अभी हाल ही में घटित हुए हैं और ऐसी सैकड़ों मिसाले हैं जिनमें सियासी उग्रता, अराजकता और अश्लील भाषा जैसे शब्दों का कई वरिष्ठ सांसदों ने सार्वजनिक रूप से बड़ी बेशर्मी के साथ उपयोग किया है। अब जो ऐसी सियासत हम पिछले कुछ सालों से निरंतर देखते चले आ रहे हैं उसे हम क्या नाम दे सकते हैं। क्या पहले कभी सियासी नेताओं के ऐसे गिरे स्तर को लेकर हमारी कल्पना बनी थी क्या, आज हम ऐसी सियासत को क्या नाम दे सकते हैं।

आज का सारांश:-
हम जल्द ही ऐसी कलयुगी सियासत की परिकाष्ठा पर पहुंचने वाले हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button