कमल सेखरी
किसानों के बड़े नेता कहे जाने वाले स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के अनुयायी खुद किसान नेता रहे वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल चौधरी सतपाल मलिक ने कल शाम मीडिया में एक बयान जारी कर न केवल खलबली मचा दी बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि कश्मीर घाटी में चल रही केन्द्र सरकार की व्यवस्था काफी कमजोर पड़ गई है और उसकी इस कमजोरी के चलते आतंकवादियों के हौसले काफी बुलंद हो गए हैं। उनका कहना था कि वो जब तक जम्मु-कश्मीर के राज्यपाल रहे तब तक किसी भी आतंकी की इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि वो राजधानी श्रीनगर में घुसना तो दूर उसकी सीमाओं के पचास किलोमीटर दूर तक भी आने की हिम्मत जुटा सके और आज आतंकियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वो दिनदहाड़े श्रीनगर के बाजारों में घुसकर लोगों की हत्याएं कर रहे हैं। पिछले दो-तीन दिनों में घाटी के निरंकुश आतंकियों ने श्रीनगर शहर में घुसकर जो कहर बरपाया है उससे न केवल पूरे देश में यह संदेश गया है कि घाटी में सक्रिय आतंकी अपने मनचाहे ढंग से जिस तरह से चाहें वैसे ही घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। अभी तक तो पुलिस बल पर या सुरक्षा बल पर लुकाछुपी करके या घात लगाकर हमले किए जाते रहे हैं लेकिन अब ऐसे मासूम नागरिकों को मौत के घाट उतारा जा रहा है जिनकी न तो किसी से रंजिश है और जो कश्मीर में दो वक्त की रोटी कमाकर अपने परिवार पालने की नजर से रह रहे हैं। चार मजदूरों की सरेआम हत्या करके घाटी में सक्रिय आतंकी यह संदेश देना चाहते हैं कि वो घाटी में अन्य प्रदेशों से आने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति को घाटी में नहीं आने देंगे और अगर वो आए तो उनकी हत्याएं कर दी जाएंगी। आतंकियों का यह नृशंस कार्य एक संदेश और भी देता है कि केन्द्र सरकार ने जो आश्वासन दिया था कि वो मजबूरी में पलायन कर गए पंडित परिवारों को फिर से उनके उन घरों में स्थापित करेंगे जिन्हें छोड़कर वो कुछ साल पहले वे वहां से निकले थे। आतंकियों का यह टारगेटिड मिशन इस बात को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है क्या वहां से निकलकर आए पंडित परिवारों का फिर से वापस लौटना सुरक्षित भी होगा या नहीं। जैसा कि हमने अपने इसी कालम में पहले भी लिखा था कि अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत कायम होने के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटों को और अधिक ताकत मिलेगी और वो भारत के खिलाफ अपनी आतंकी गतिविधियों को और अधिक तेज कर पाने में पहले से बेहतर स्थिति में होंगे। कश्मीर घाटी में खासतौर पर राजधानी श्रीनगर में जिस तरह से अचानक आतंकियों ने निरंकुशता से अपने पांव फैलाने शुरू किए हैं उसे अगर तुरंत न रोका गया तो कश्मीर अपने आप ही बकाया देश से अलग थलग पड़ जाएगा। और अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान, तालिबान व आतंकी गुटों के जो सामूहिक प्रयास हैं वो खुद ही सफल हो जाएंगे। इसके साथ भारत सरकार की धारा 370 हटाने की मंशा खुद ही अर्थहीन हो जाएगी।