कमल सेखरी
इन दिनों कोई दिन ऐसा नहीं जा रहा है जब हमारे कानों में यह आवाज न आती हो कि भारत में जल्दी ही कोरोना महामारी की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। इस संभावित खतरे को लेकर केन्द्र सरकार चिंतित नजर आ रही है और मीडिया के विभिन्न माध्यमों से यह संदेश भी दे रही है कि हमें इस महामारी की तीसरी लहर से सतर्क रहना चाहिए और बचाव के सभी उपाये हर व्यक्ति को अपनाने चाहिए। कोरोना महामारी के इस खतरे को देखते हुए ही हर धर्म के त्योहारों के आयोजनों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए भी कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं लेकिन इतना सबकुछ होने पर भी जनसाधारण में कहीं इस संभावित खतरे को लेकर चिंता का कोई भाव नजर नहीं आता है। सड़कों पर लोग पैदल चलते हुए मास्क पहनते नजर नहीं आ रहे हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर शहर के आॅटो स्टैंड पर तो भारी भीड़ तो नजर आ रही है लेकिन उनमें केवल दस फीसदी तक ही लोग मास्क पहने नजर आते हैं। शादी बारात के आयोजन हो रहे हैं, खेल के मैदानों में प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं, बाजारों में भीड़ नजर आ ही है, हर शहर का हर बड़ा मॉल लोगों से ठसाठस भरा पड़ा है। रेस्टोरेंट्स में खाना खाने वालों की भीड़ उमड़ रही है। यहां तक कि स्थानीय सार्वजनिक वाहनों में चाहे वह आॅटो रिक्शा हों या स्थानीय महानगरों में चलने वाली बसें या फिर लोकल पैसेंजर ट्रेनों में वही पुराना ढर्रा वापस आ गया है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर जो कभी भी दस्तक देने की कगार पर खड़ी है, वो तेजी से दूसरी लहर की तरह अपना फैलाव बनाकर फिर से पूरे देश को अपनी चपेट में ले सकती है। या तो हमारा सरकारी संदेश लोगों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है या फिर लोग इतने बेपरवाह और बेखौफ हो गए हैं कि वो महामारी के इन दुष्परिणामों की चपेट में आने से तनिक भी भय नहीं खा रहे हैं। सरकार को सख्ती बरतनी चाहिए, बिना मास्क लगाए घूमते नजर आ रहे लोगों पर कड़ा आर्थिक दंड लगाना चाहिए और न मानने पर सजा का प्रावधान रखना चाहिए। कम से कम इतना तो करना ही चाहिए कि बिना मास्क लगाए घूमने वालों को पकड़कर तीन-चार घंटे स्थानीय थानों अथवा चौकियों में लाकर दंड स्वरूप बैठा देना चाहिए ताकि उन्हें अपनी गलती का अहसास हो और वे भविष्य में घर से बाहर निकलते ही पहला काम मास्क लगाने का ही करें।