- बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों को विटामिन-ए की खुराक अवश्य पिलाएं : सीएमओ
- 27 दिसंबर से शुरू हुए अभियान में करीब 56000 बच्चे हो चुके हैं प्रतिरक्षित
- हर बुधवार और शनिवार को विशेष सत्रों में पिलाया जा रहा विटामिन ए सिरप
हापुड़। स्वास्थ्य विभाग हर बुधवार और शनिवार को आयोजित ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) और शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (यूएचएसएनडी) आयोजित कर बच्चों का नियमित टीकाकरण (आरआई) करता है। नियमित टीकाकरण के दौरान भी नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी जाती है लेकिन एक भी बच्चा विटामिन -ए की खुराक से वंचित न रह जाए, इसके लिए वर्ष में दो बार विटामिन ए संपूरण अभियान चलाकर विटामिन ए का सिरप पिलाया जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने बताया कि शासन के निर्देश पर 27 दिसंबर से शुरू हुए विशेष अभियान में अब तक करीब 56000 बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जा चुकी है। 27 जनवरी तक चलने वाले इस अभियान के दौरान 1400 से अधिक सत्र आयोजित कर 1.44 लाख बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी। सीएमओ ने आह्वान किया है कि नौ माह से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को विटामिन ए की खुराक अवश्य पिलाएं। विटामिन ए की खुराक आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर कर तमाम बीमारियों से बचाव करती है। नियमित रूप से विटामिन ए की खुराक लेने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजीव कुमार ने बताया- विटामिन ए संक्रामक रोगों, डायरिया और आंखों के रोग अंधता-रतौंधी जैसे रोगों से बच्चों को प्रतिरक्षित करता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है। विटामिन ए की पहली खुराक बच्चे को नौ माह की उम्र पर मीजल्स रूबेला के टीके के साथ दी जाती है। दूसरी खुराक 16वें महीने पर दी जाती है। इसके बाद पांच साल की उम्र तक हर वर्ष दो बार छह-छह माह के अंतराल पर दी जाती है। उन्होंने बताया – नौ से 12 माह के बच्चे को एक मिली (एमएल) खुराक नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान मीजल्स रूबेला (एमआर) के पहले टीके के साथ, 16 से 18 माह के बच्चों को विटामिन ए की दो मिली खुराक दी जाती है। दो से पाँच साल तक के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए की दो मिली की खुराक पिलाई जाती है। बच्चों को दी जाने वाली सभी खुराक की एंट्री ई-कवच पोर्टल और मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड पर की जाती है।