- सीएम योगी ने बेंगलूरू में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र क्षेमवन का किया उद्घाटन
- रामराज्य की आधारशिला को मजबूत करने की प्रथम भूमि कर्नाटक मानी जाती है
- देश की योग एवं नेचुरोपैथी की परम्परा ह्यशरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम को मानती है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की योग व नेचुरोपैथी की परम्परा ने माना है कि शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम, जितने भी धर्म के साधन हैं ये सभी शरीर के माध्यम से ही पूरे हो पाएंगे। एक स्वस्थ शरीर ही कार्यों को सम्पन्न कर सकता है।
मुख्यमंत्री बेंगलूरू, कर्नाटक के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र क्षेमवन का उद्घाटन करने के बाद इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने श्री क्षेत्र धर्मस्थल मंजूनाथ स्वामी मंदिर के धर्माधिकारी डा. वीरेन्द्र हेगड़े एवं उनके सहयोगियों को भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से बधाई देते हुए कहा कि हेगड़े द्वारा भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को योग और नेचुरोपैथी के माध्यम से पहले शान्तिवन फिर सौम्यवन और अब बेंगलूरू में क्षेमवन के रूप में आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक और उत्तर प्रदेश का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह घनिष्ठ सम्बन्ध इस रूप में है कि कर्नाटक में भगवान मंजूनाथ की परम्परा, नाथ सम्प्रदाय की शैव परम्परा को ही आगे बढ़ाती है और एक-दूसरे को सुदृढ़ आध्यात्मिक भाव के साथ जोड़ती है। कर्नाटक को संकट का साथी कहा गया है। इसी कर्नाटक क्षेत्र में प्रभु श्रीराम के सहयोग के लिए बजरंगबली मारूतिनन्दन हनुमान आगे आये थे। हनुमान की सहायता से उस समय जो मजबूत सेतुबन्ध का निर्माण हुआ था, वह भारत में रामराज्य की स्थापना का आधार बना था। रामराज्य की आधारशिला को मजबूत करने की प्रथम भूमि कर्नाटक मानी जाती है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जब भारत को आधुनिक तकनीक की आवश्यकता थी तो आईटी के रूप में बेंगलूरू उसका हब बना। भारत को जब भी किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की आवश्यकता पड़ी तो बेंगलूरू ने उस समय संकट के साथी के रूप में मजबूती के साथ अपने कदम को आगे बढ़ाया है। बेंगलूरू आईटी व बायो टैक्नोलॉजी का हब माना जाता है। अब यह तेजी के साथ परम्परागत चिकित्सा पद्धति के एक नये हब के रूप में दुनिया को मार्गदर्शन करता दिखायी दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर बनने की ओर अग्रसर है। ऐसे में अपनी कार्य पद्धति को प्रोफेशनलिज्म एवं टैक्नोलॉजी के साथ जोड़ते हुए आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस आवश्यकता के अनुरूप देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने के लिए सरकार के प्रयास के साथ सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और वाणिज्यिक संस्थान मिलकर कार्य करेंगे, तो इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते दिखायी देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री भारत को दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए अग्रसर हैं। इसमें भारत के धर्मस्थलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मैसूर में योग दिवस का शुभारम्भ किया था। योग दिवस भारत की उस परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है, जो भारत की आध्यात्मिक परम्परा को वैश्विक मंच पर एक नया स्थान दिलाती है। आज पूरा विश्व 21 जून की तिथि को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाता है। पहले योग के बारे में कई भ्रान्तियां थीं। आज भारत में करोड़ों लोग योग की परम्परा से जुड़ रहे हैं। विश्व के 175 देशों ने 21 जून को योग परम्परा से जुड़कर भारत की आध्यात्मिकता की ताकत को महसूस किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग व आयुष की ताकत को दुनिया ने सदी की सबसे बड़ी महामारी कोविड-19 के दौरान स्वीकार किया। आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अपना महत्व है, लेकिन शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए पम्परागत चिकित्सा पद्धति की तरफ जाना पड़ेगा। इस पद्धति में योग, नेचुरोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा की अपनी भूमिका है। इस दृष्टि से बेंगलूरू में स्थापित ह्यक्षेमवनह्ण भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने हेतु दिया गया एक महाप्रसाद है। इस प्रकार के केन्द्र की आवश्यकता पूरे देश में है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तथा आदि चुनचुन गिरी महा संस्थान मठ के स्वामी जगद्गुरु श्री श्री डॉ. निर्मलानन्द नाथ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।