- 5 वर्षों के दौरान 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करने का दावा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आदिकाल से ही भारतीय मनीषा ने जल को बहुत पवित्र भाव के साथ देखा था। पृथ्वी सूक्त में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कल्याण के साथ ही जल के कल्याण की बात भी निहित है। भारतीय मनीषा इस बात को जानती है कि जीव-जन्तु और सृष्टि की कल्पना जल के बगैर नहीं की जा सकती। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए अलग-अलग कालखण्ड में लोगों द्वारा जल संरक्षण के पवित्र कार्य के रूप में तालाब तथा कुआं खुदवाने जैसे कार्य किये जाते थे। उस समय पाइप पेयजल की परियोजनाएं नहीं थीं।
मुख्यमंत्री यहां लोक भवन सभागार में भूजल सप्ताह-2022 के राज्य स्तरीय समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि भूजल सप्ताह का आयोजन प्रदेश के सभी जनपदों में 16 से 22 जुलाई, 2022 के बीच किया गया है। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली संस्थाओं व व्यक्तियों को सम्मानित किया। इनमें परमार्थ समाज सेवी संस्थान जालौन, ग्रामीण एवं पर्यावरण विकास संस्थान बागपत, आईटीसी लि. सहारनपुर, सपोर्ट फॉर इम्प्लीमेंटेशन एंड रिसर्च झांसी, वॉटर ऐड इंडिया लखनऊ, स्वप्न फाउंडेशन लखनऊ, नीर फाउण्डेशन मेरठ संस्थाओं सहित रामवीर तवर गौतमबुद्धनगर, डा. वेंकटेश दत्ता लखनऊ, उमा शंकर पांडेय बांदा, अनुराग पटेल जिलाधिकारी बांदा तथा आजमगढ़ के कार्यशाला अनुदेशक कुलभूषण सिंह शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रकृति व परमात्मा की कृपा से अत्यन्त उर्वरा भूमि रखता है। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन है। प्रदेश में ग्राउंड वॉटर के साथ ही सरफेस वॉटर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जल है तो जीवन है। जल और जीवन के इस सम्बन्ध को सभी जानते हैं, लेकिन इसके उचित प्रबन्धन के बारे में जो प्रयास होना चाहिए, उसमें व्यक्ति चूक जाते हैं। हमारे देश में नदियों में गन्दगी न करने के लिए लोग प्रोत्साहित करते थे। नदियों को पवित्र भाव से देखा जाता था। उसे मां जैसा दर्जा प्रदान किया गया था। गंगा मैया के रूप में हमने भारत की सबसे पवित्र नदी को मान्यता दी। गांवों में भी लोग छोटी नदी अथवा नाले को इसी पवित्र भाव के साथ गंगा कहकर सम्बोधित करते हैं। भारत की ऋषि और कृषि दोनों परम्पराओं के संवर्धन में अपना योगदान देने वाली गंगा हैं। गंगा का पवित्र नाम लेकर लोग जल संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता व पवित्रता बनाये रखते हुए कृतसंकल्पित रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तेजी के साथ आबादी बढ़ी और औद्योगीकरण हुआ फलस्वरूप भूगर्भीय जल का दोहन भी बढ़ा। उस अनुपात में भूगर्भीय जल के संरक्षण और संवर्धन के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे उनमें, बीच के कालखण्ड में, लापरवाही बरती गयी। इसका व्यापक असर प्रदेश के भूजल स्तर पर पड़ा। प्रदेश के अनेक विकास खण्ड अतिदोहित की श्रेणी में आकर डार्क जोन की श्रेणी में चले गये थे। आज उन्हें धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लाने की कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2000 में प्रदेश में जितने विकास खण्ड अतिक्रिटिकल थे, 17-18 वर्षों में उनकी संख्या बढ़कर कई गुना हो गयी थी। आज प्रदेश की आबादी लगभग 25 करोड़ है। स्वाभाविक रूप से पेयजल, सिंचाई एवं अन्य औद्योगिक उत्पादन के लिए हमारी जो आवश्यकता है, उसके लिए भूगर्भीय जल का अधिकाधिक प्रयोग किया गया है। लेकिन भूगर्भीय जल के संरक्षण के लिए किसी अभियान को जोड़ने का कार्य नहीं किया गया था। इसीलिए देश व प्रदेश में डार्क जोन की संख्या बढ़ी, खारेपन के साथ ही आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या एक चुनौती के रूप में दिखायी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से कैच द रेन तथा अमृत सरोवर जैसे कार्यक्रम पूरे देश में प्रारम्भ हुए हैं। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने आवश्यक कानून बनाए हैं और भी अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से जल संरक्षण के कार्यों को बढ़ावा दिया गया है। विगत 5 वर्षों के अन्दर प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चलाये गये अभियानों के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। हम अनेक विकास खंडों को अतिक्रिटिकल से सामान्य विकास खंडों में परिवर्तित करने में सफल हुए हैं। प्रदेश सरकार ने भूगर्भीय जल के प्रबन्धन और संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनायी, जिसके कारण इस स्थिति में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला। इसमें सबकी सहभागिता होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 5 वर्षों के दौरान प्रदेश में 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। यह नदियां कभी उस क्षेत्र विशेष में कृषि उत्पादन की रीढ़ रही होंगी, लेकिन लापरवाही के कारण यह नदियां लुप्तप्राय सी हो गयी थीं। जन सहभागिता के माध्यम से ग्राम्य विकास और अन्य विभागों ने जल शक्ति विभाग के साथ मिलकर इनके पुनर्जीवन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। आज यह नदियां पुनर्जीवित हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश व प्रदेश आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम मना रहा है। देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर यदि अलग-अलग क्षेत्रों के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में कार्य करते हुए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें तो इसके परिणाम हमारे सामने होंगे। प्रधानमंत्री जी ने अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रत्येक जनपद के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में 75-75 अमृत सरोवर बनाने का आह्वान किया था। यह प्रसन्नता का विषय है कि प्रदेश में अमृत सरोवर बनाने की प्रक्रिया तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। अब तक प्रदेश में कई अमृत सरोवर बनाये जा चुके हैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में यह कार्य स्वत: स्फूर्त भाव से होता हुआ दिखायी दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए एक विशेष व्यवस्था बनायी है। इसके अन्तर्गत शहरी क्षेत्रों में एक विशेष क्षेत्रफल से अधिक के आवासों के निर्माण में तथा किसी भी सरकारी भवन के निर्माण हेतु रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 17 जुलाई को प्रदेश के 10 जनपदों के 26 विकास खण्डों की 550 ग्राम पंचायतों में भूजल संरक्षण के लिए जागरूकता के एक विशेष अभियान को बढ़ाया गया। इसके लिए डिजिटल भूजल रथ यहां से प्रारम्भ हुए थे, जो उन जनपदों में जन जागरूकता प्रदान कर रहे हैं। यह रथ लोगों को जल की एक-एक बूंद के संरक्षण के लिए प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। अभी जल शक्ति मंत्री ने खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ एवं घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में इस पवित्र भाव के साथ जल संरक्षण के कार्य के प्रति जागरूक किया है। यदि हर व्यक्ति इसे मिशन भाव से लेकर जल की एक-एक बूंद की कीमत को समझने लगे, तो आने वाले समय में जीव सृष्टि तथा जन्तु सृष्टि के लिए किसी भी प्रकार का संकट खड़ा नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आवश्यकतानुसार जल का उपयोग किये जाने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी को जल की एक-एक बूंद की कीमत को समझना होगा। पुराने सरोवर, तालाबों तथा कुओं को फिर से पुनर्जीवित करना होगा।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्जवलन के साथ किया। मुख्यमंत्री को पौधा व स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भूजल एटलस का विमोचन भी किया। भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए उत्तर प्रदेश को दिया गया सम्मान चिन्ह को मुख्यमंत्री जी को सौंपा गया।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ अधिकारी, स्वयं सहायता समूह के सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।