- सीएम योगी ने उ.प्र. को व्यवस्था एवं सुशासन का प्रदेश बनाया: राज्यपाल, गुजरात
- प्राकृतिक खेती से रासायनिक खेती के मुकाबले अधिक उत्पादन
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। कृषि के बाद प्रदेश में सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई क्षेत्र द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। वर्ष 2017 से पहले इस क्षेत्र की स्थिति निराशाजनक थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से वर्ष 2018 में प्रदेश के विभिन्न जनपदों के परम्परागत और विशिष्ट उत्पादों की मैपिंग कराकर राज्य सरकार ने अभिनव योजना एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) लागू की। इसके माध्यम से विभिन्न जनपदों के परम्परागत एवं विशिष्ट उत्पादों को तकनीक से जोड़ने, मार्केटिंग और ब्रांडिंग की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयीं। आज प्रदेश में 90 लाख एमएसएमई इकाइयां संचालित हैं। इनमें करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में ओडीओपी योजना को बढ़ावा देना प्रारम्भ किया है।
मुख्यमंत्री यहां होटल ताज में विश्व बैंक की साझेदारी से प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित दो दिवसीय लर्निंग कॉन्क्लेव उत्तर प्रदेश: सतत और समान विकास की ओर में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि प्रदेश के आर्थिक विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार विश्व बैंक समर्थित उत्तर प्रदेश कृषि विकास और ग्रामीण उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र सुदृढ़ीकरण परियोजना प्रारम्भ करने की योजना बना रही है। कॉन्क्लेव में प्राप्त जानकारी के आधार पर सम्बन्धित विभागों तथा विश्व बैंक द्वारा विचार-विमर्श करते हुए परियोजना के लिए व्यापक कार्यान्वयन रणनीति बनायी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा विगत एक महीने में इस प्रकार के कई कार्यक्रम किए गए हैं। इस कार्यक्रम में गुजरात राज्य के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गो आधारित प्राकृतिक खेती के माध्यम से कम लागत में उत्पादन बढ़ाने का मंत्र दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में ऋषि और कृषि परस्पर जुड़े हुए हैं। गो और गोवंश भारत की आस्था और अर्थव्यवस्था का आधार था। गो आधारित प्राकृतिक खेती आस्था के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी सम्बल प्रदान कर सकती है। प्रदेश के सतत और समान विकास के कार्य को कृषि एवं एमएसएमई विभाग को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए। प्रदेश के अधिक से अधिक लोगों को इस कार्यक्रम से जोड़कर इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कॉन्क्लेव के निष्कर्षों के आधार पर एक ठोस एक्शन प्लान के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक जनपद, 9 क्लाइमेटिक जोन में कृषि विज्ञान केन्द्रों के जरिए इस कार्यक्रम को हर किसान तक पहुंचाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 वर्ष पहले कानपुर के चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में गो आधारित प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसमें 500 से अधिक किसान सम्मिलित हुए थे। इन किसानों द्वारा राज्य में हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती की जा रही है। प्रधानमंत्री की मंशा विषमुक्त खेती है। इसके लिए प्राकृतिक खेती एक अभिनव प्रयोग के रूप में आगे बढ़ रही है। कृषि वैज्ञानिक तथा प्रदेश के प्रगतिशील किसान मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे तो यह प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भूमि सर्वाधिक उर्वरा है। यहां पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध हैं। प्रदेश में किसानों की संख्या सर्वाधिक है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि के सापेक्ष प्रदेश की कृषि योग्य भूमि 11 से 12 प्रतिशत है। इसके बावजूद प्रदेश, देश का लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन कर रहा है। प्रदेश खाद्यान्न सहित गेहूं, गन्ना, चीनी, सब्जी, दूध, आलू आदि के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि सही वैज्ञानिक सोच, आधुनिक तकनीक और प्राकृतिक खेती को लागू करके उत्पादन बढ़ाने के साथ ही, किसानों की आय भी बढ़ायी जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा लेकिन उत्पादों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। कई घातक बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में, हम सभी को धरती माता की रक्षा करनी होगी। इसके लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती को अपनाए जाने पर निरन्तर जोर दे रहे हैं। केन्द्रीय बजट में भी प्राकृतिक खेती को सम्मिलित करते हुए गंगा जी के दोनों किनारों पर 5-5 कि0मी0 के दायरे पर प्राकृतिक खेती का कॉरिडोर बनाने की घोषणा की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 में गंगा यात्रा के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता का अभियान चलाया गया। इस वर्ष के बजट में बुन्देलखण्ड के पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक खेती के लिए चयन किया गया है। राज्य सरकार द्वारा गंगा जी के तट के 27 जनपदों तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों सहित कुल 34 जनपदों में प्राकृतिक खेती को बढ़ाया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर इस सम्बन्ध में बोर्ड का गठन भी किया जाएगा।
सीएम योगी ने कहा कि जनपद सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल विश्व प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस चावल की वेराइटी भगवान बुद्ध के समय में आयी थी। इस चावल की अपनी विशिष्ट खुशबू है। इसकी पूरी दुनिया में मांग है। मुजफ्फरनगर के गुड़ की अपनी खास पहचान है। वहां प्रतिवर्ष गुड़ महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। जनपद सुल्तानपुर के एक किसान द्वारा ड्रैगन फ्रूट उगाया जा रहा है। जनपद झांसी की एक बेटी द्वारा छत पर स्ट्रॉबेरी उगाने के सफल प्रयोग को बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है। इसमें एक एकड़ में 10 लाख रुपये का उत्पादन हुआ है। खेती में इस प्रकार का विविधीकरण भी किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में उल्लेखनीय योगदान किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बलिनी दुग्ध संघ से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं के स्वावलम्बन का उदाहरण प्रस्तुत किया है। राज्य सरकार ने प्रदेश में पोषण मिशन के तहत पोषाहार के प्रसंस्करण का कार्य जनपदों के महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया है। पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में शिकायत मिलने पर खाद्यान्न वितरण का कार्य महिला स्वयं सहायता समूह को दिया जाता है।
गुजरात प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्य अतिथि के रूप में लर्निंग कॉन्क्लेव को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को व्यवस्था एवं सुशासन का प्रदेश बनाया है। कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही उन्होंने प्रदेश को सतत विकास की राह पर आगे बढ़ाया है। मुख्यमंत्री भगवान श्रीराम की तरह पीड़ितों, शोषितों, वंचितों के प्रति संवेदनशील तथा क्रूर लोगों के प्रति वज्र के समान प्रचण्ड हैं। इसीलिए देश-प्रदेश के लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री हो तो योगी आदित्यनाथ जैसा।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की समृद्धि के लिए आयोजित किया गया है। प्राचीन भारत में एमएसएमई का क्षेत्र अत्यन्त व्यावहारिक था। प्राचीन भारतीय ग्रामीण व्यवस्था परस्पर निर्भर थी। भारतीय गांव पूर्णत: स्वावलम्बी थे। जीवन की आवश्यकताओं से जुड़ी सभी वस्तुएं एमएसएमई के माध्यम से उत्पादित होती थीं। भारत का सामान पूरी दुनिया में निर्यात होता था, लेकिन आयात नहीं होता था। प्राचीन भारत आर्थिक रूप से उन्नत और समृद्ध था। इसलिए भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था। ऋषियों और मुनियों के ज्ञान के कारण आध्यात्मिक रूप से समद्ध था। इसलिए प्राचीन भारत विश्व गुरू था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारत को उसी दिशा में ले जा रहे हैं।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के उपयोग से उत्पादन तो बढ़ा, किन्तु धरती का आॅर्गेनिक कार्बन 2-3 प्रतिशत से घटकर 0.4 प्रतिशत हो गया है। इससे धरती बंजर होती जा रही है। जैविक खेती अव्यावहारिक है। आज तक जैविक खेती का कोई सफल मॉडल खड़ा नहीं हो सका है। ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए रासायनिक खेती व जैविक खेती बराबर की जिम्मेदार हैं। यह जारी रहा तो धरती बंजर हो जाएगी। प्रकृति के सहयोग से ही इसे रोका जा सकता है।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती से रासायनिक खेती के मुकाबले अधिक उत्पादन होता है। हिमाचल प्रदेश, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा में बड़ी संख्या में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती अपनायी गयी है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों की आय 27 प्रतिशत बढ़ी है तथा खेती की लागत भी 56 प्रतिशत घट गयी है। धरती का आॅर्गेनिक कार्बन सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि बढ़ाते हैं। प्राकृतिक खेती अपनाने से धरती का आॅर्गेनिक कार्बन तेजी से बढ़ता है। एक देशी गाय से 25-30 एकड़ क्षेत्रफल में गो आधारित प्राकृतिक खेती की जा सकती है।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि एक देसी गाय के एक दिन के गोबर व मूत्र से जीवामृत खाद बनायी जा सकती है। यह रसायन का विकल्प है। शुद्ध देशी गाय यथा साहीवाल, थारपारकर, हरियाणवी के एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ मित्र जीवाणु होते हैं। यह विदेशी प्रजाति की गायों जर्सी, फ्रीजियन आदि में नहीं होता है। सूक्ष्म जीवाणुओं, केंचुआ आदि के बढ़ने से धरती स्वस्थ होती है और उत्पादन बढ़ता है। गो आधारित प्राकृति खेती अपनाने से पानी बचेगा, ग्लोबल वॉर्मिंग रुकेगी, गो संरक्षण होगा, भूजल स्तर सुधरेगा, लोग स्वस्थ होंगे तथा कृषि की लागत कम होने से किसान की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि किसान आत्मनिर्भर होगा तो भारत भी आत्मनिर्भर होगा।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, विश्व बैंक के प्रैक्टिस मैनेजर, एग्रीकल्चर ग्लोबल प्रैक्टिस, साउथ एशिया रीजन ओलिवर ब्रेट एवं बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।