यूपी सरकार के मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा- 1937 के बाद देश में जातीय जनगणना कराना मोदी सरकार का एतिहासिक फैसला

- 94 साल के बाद मोदी के राज में पिछड़ो को मिलेगा न्याय: नरेन्द्र कश्यप
- भाजपा मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि 1937 में अंग्रेजों के द्वारा देश में जातीय जनगणना करायी गयी थी
- हमारी सरकार यह जनगणना 2021 में कराना चाहती थी किन्तु कोविड जैसी प्राकृतिक महामारी के चलते नहीं करायी जा सकी
- यह कास्ट सेंसस देश के वंचित पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को समाज में अपनी एक सही पहचान दिलायेगा
- सरकारी योजनाओं तथा नौकरियों में उनको उचित भागीदारी दिलाने की दिशा में यह एक निर्णायक पहल साबित होगा
गाजियाबाद। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री नरेन्द्र कश्यप ने जाति जनगणना के इस निर्णय को सामजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसका स्वागत करते हुए कहा है कि 140 करोड़ देशवासियों की जीवन धारा को बदलने व उनके चहुमुखी विकास में (सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक राजनैतिक) यह निर्णय कारगर साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जाति जनगणना कराने का यह निर्णय देश व समाज हित में सफल होगा। चूंकि प्रधान मंत्री सबका साथ सबका विकास की विचारधारा पर चलने वाले हैं उनका प्रत्येक निर्णय देश को विकास के नये शिखर तक ले जाने में कारगर साबित होगा। मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने बताया कि पीएम मोदी का यह फैसला पिछड़े समाज के लिए विकास की एक नई इबारत लिखेगा। देश में प्रथम बार ऐसा होने जा रहा है जिसमें पिछड़े व अति पिछड़ी जातियों की जनगणना होने जा रही है। मंत्री कश्यप ने आगे कहा कि कांग्रेस अपने 60 वर्षों के शासनकाल में जातीय जनगणना कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और पिछड़े समाज के लोगों को झूठ का पुलिंदा थमाकर छलावा करती रही। मंत्री कश्यप ने बताया कि कांग्रेस का पिछड़ों के प्रति हमेशा से ही दो मुंहा रवैया अपनाती रही है। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस की सरकारों ने ही आज तक जातिवार गणना का विरोध किया है। इसका जीताजागता प्रमाण यह है कि आजादी के बाद सभी जनगणनाओं में जाति की गणना की ही नहीं गयी। कांग्रेस ने 2010 में संसद में आश्वासन देने के बावजूद जातिवार गणना नहीं कराई। मंत्रिमंडल समूह की संस्तुति के बावजूद मनमोहन सरकार ने सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना के नाम पर सिर्फ सर्वे कराया। इताना ही देश के पहले प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा था कि वह जाति के आधार पर आरक्षण के विरोधी हैं। उन्होंने हमेशा जातीय जनगणना का विरोध किया। 1980 में मंडल कमीशन का विरोध इंदिरा गांधी द्वारा किया गया। ध्यान देने की बात यह है कि जातिवार गणना 1931 की जनगणना के साथ हुई थी। तब से अभी तक जातिवार जनगणना नहीं हुई है। 1931 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल कमीशन ने 1980 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। मंडल कमीशन ने अनुमान लगाया कि कुल आबादी में से 32 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग की है। जिसके आधार पर आयोग ने सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी रिजर्वेशन की अनुशंसा की थी। राज्यमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि यह जातीय गणना का निर्णय सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों की गैर बराबरी दूर कर और अधिक सशक्त बनायेगा तथा वंचितों और उपेक्षित वर्गों के लोगों चहुंमुखी विकास के लिए नये रास्ते खोलेगा।