कमल सेखरी
पांच प्रदेशों में हो रहे विधानसभा चुनावों में गोवा और उत्तराखंड में आज सुबह से ही अद्भुत उत्साह का नजारा देखने को मिला। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण के चुनाव जिसमें वेस्ट यूपी की 55 सीटों पर मतदान हुआ, वहां सभी जगह अपेक्षा से कहीं अधिक मतदान हुआ और पहले चार-पांच घंटे में ही कई जगह पर तो मतदान 45 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गया। बिजनौर, सहारनपुर, संभल, अमरोहा, बरेली और उसके आसपास के क्षेत्रों में मतदाता सुबह से ही लंबी कतारों में आकर खड़े हो गए। जैसा कि पहले से यह संभावना व्यक्त की जा रही थी कि उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण का मतदान सांप्रदायिक धु्रवीकरण के प्रभाव का शिकार होगा लेकिन ऐसा कहीं भी होता नजर नहीं आया। यह दूसरे चरण का चुनाव भी उसी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में सामान्य स्थितियों के बीच ही पूरा हुआ जैसे की पहले चरण की 58 सीटों पर हुआ था। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले चरण की 58 सीटों पर कुछ सियासी दलों ने धु्रवीकरण करने का पुरजोर प्रयास किया और इस धु्रवीकरण के प्रयासों में एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने पूरा जोर लगाकर मुस्लिम मतदाताओं को विभाजित करने की कोशिश की और इस कोशिश के पीछे यह कोशिश भी शामिल थी कि जहां एक ओर मुस्लिम मतदाता विभाजित होंगे वहीं दूसरी ओर हिन्दू मतदाता एकजुट होंगे और मतदान धु्रवीकरण का रास्ता पकड़कर जिसे लाभ पहुंचाना है लाभ पहुंचाएगा और जहां चोट लगानी है वहां चोट लगाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ना तो मुस्लिम मतों में बिखराव हो पाया और ना ही हिन्दू मत उस हिसाब से एक हो सके जिस नजर से करने की कोशिश की गई थी। पश्विचमी उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण के चुनावों में तीन दिन पहले ही पूरा जोर लगाकर एक बार फिर से धु्रवीकरण की कोशिशें की गर्इं। दोबारा की गर्इं इन कोशिशों में कर्नाटका से जबरन बनाया गया हिजाब का मुद्दा बड़ी तेजी से हवा देकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक भेजा गया और इस प्रयास में संकल्पित भाव से जुड़े गोदी मीडिया ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया। लेकिन आज दूसरे चरण की इन 55 सीटों पर भी धु्रवीकरण का कोई प्रभाव होता नजर नहीं आया। अब जब हम यह लिख रहे हैं तब तक कई जगह 55 से 60 प्रतिशत तक मतदान हो चुका है और संभावना व्यक्त की जा रही है कि गोवा प्रदेश सहित वेस्ट यूपी की इन 55 सीटों में से लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर मतदान का पूरा समय खत्म होने तक 70 फीसदी से भी अधिक वोट डाली जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता सबको मालूम है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही खुलता है और अब तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिलाकर 113 सीटों पर हुए मतदान पर अभी तक धु्रवीकरण की कोई छाया नहीं पड़ने पाई है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अभी तो यह लग रहा है कि उत्तर प्रदेश के बकाया बचे पांच चरणों के मतदान में भी ध्रुवीकरण अपना कोई खास असर नहीं छोड़ पाएगा। ना तो मुस्लिम मतों में बिखराव होने की स्थिति बन पाएगी और ना ही हिन्दू मतों में 2014 और 2017 व 2019 जैसी एकजुटता बन पाएगी। क्योंकि इस बार लोग जाति और धर्म से ऊपर उठकर बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य विकास योजनाओं पर अपना मत देने का विचार अधिक बना रहे हैं और धु्रवीकरण का शिकार होने से बच रहे हैं। अगर यही स्थिति जो पहले दो चरणों में वेस्ट यूपी के मतदान में देखने को मिली है वो अन्य पांच चरणों में भी ऐसे ही बरकरार रह जाती है तो 2022 का यह चुनाव भाजपा के लिए एक कठिन डगर होगी और जिस तरह से दोनों हाथ भर-भरकर जैसे हलवा अब तक खाया जाता रहा है वैसा कुछ अब हो पाना संभव नजर नहीं आ रहा है।
उत्तराखंड में भी स्थितियां कुछ ऐसी ही बनी हुई हैं। वहां एक ही चरण में पूरे प्रदेश का मतदान हो रहा है। पहले की सरकार अब फिर से लौटती अभी तो नजर नहीं आ रही है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जो कुछ भी स्थितियां बनेंगी वो अगले महीने दस मार्च को ही पता चलेंगी लेकिन यह तय है कि हार-जीत बहुत थोड़े अंतर से ही होगी और सत्ता में चल रही सरकारों को खुद को बचा पाना उतना आसान नहीं हो पाएगा।