चर्चा-ए-आमलेटेस्टस्लाइडर

सीमित हाथों में असीमित शक्तियां!

यह एक वास्तविक सच्चाई है कि जब कभी भी और कहीं भी कुछ सीमिति लोगों के हाथों में असीमित शक्तियां आ जाती हैं तो उनका आचरण क्रूरता की सभी हदों को पार कर जाता है। चाहे कोई सामाजिक व्यवस्था हो या फिर किसी सूबे या देश की सियासी व्यवस्था हो अगर असीमित शक्तियां कुछ असीमित लोगों के नियंत्रण में रहती हैं तो वो समाज के लिए किसी भी सूबे के लिए और किसी भी देश के लिए घातक ही सिद्ध होती है। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा महायुद्ध दो महीने पार करने जा रहा है। इस महायुद्ध के दौरान रूस ने जो बर्बरता, निर्ममता, नृशंसता बरती है वो इसी बात का उदाहरण है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन के हाथों में इतनी असीमित शक्तियां वहां की सियासी व्यवस्था ने दे दी हैं कि वो न केवल निरंकुश हो गए हैं बल्कि क्रूरता की सभी सीमाएं भी लांघ गए हैं। इसी तरह से चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को वहां की व्यवस्था ने आजीवन काल के लिए राष्ट्रपति बना दिया है। उनके हाथों में भी असीमित शक्तियां दे दी गई हैं और उनकी कोई जवाबदेही उसके सही या गलत इस्तेमाल को लेकर नहीं बनती हैं। जिनपिंग भी भारत सहित अन्य कई देशों को समय-समय पर धमकियां देते रहते हैं और ताइवान में कभी भी हमला करने का मन बना चुके हैं। यूक्रेन में अब तक जो नरंसहार हुआ है और आने वाले कल में ताइवान में भी हम ऐसा ही कुछ देखने जा रहे हैं यह सबकुछ उन्हीं असीमित शक्तियों के कारण है जो बिना जवाबदेही के सीमित हाथों में सौंप दी गई है। उत्तरी कोरिया भी इसी तरह की क्रूरता की एक मिसाल है। वहां के तानाशाह राष्ट्रपति किमजांग उन भी रह रहकर अमेरिका सहित कई पड़ोसी मुल्कों को परमाणु हमले की धमकियां देते रहते हैं। उन्होंने अपनी फौज के एक बड़े अधिकारी को सार्वजनिक स्थल पर खड़ा करके तोप से इसलिए उड़ा दिया कि जब वो फौजियों को भाषण दे रहे थे तो इस वरिष्ठ फौजी अधिकारी की अचानक आंख लग गई जो राष्टÑपति उन ने देख लिया। विश्व वर्तमान में ऐसी कुछ तानाशाहियों की मिसाल को झेल रहा है और इन तानाशाहियों की निजी सोच की क्रूरता विश्व के लिए घातक बन गई है और कभी भी दुनिया को विश्व युद्ध के परमाणु परिणाम तक ले जा सकती है।
हमारा देश भारत भी धीरे-धीरे कुछ ऐसी ही परिस्थितियों में जाता दिखाई दे रहा है। जल्द ही अपराधियों को सजा देने के लिए अदालतों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ऐसा कुछ भविष्य में होता नजर आ रहा है। हमारे कई सूबों की सिसासत ने बुल्डोजर नाम का एक बड़ा हथियार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अपराधियों के खिलाफ और धार्मिक विवादों पर सियासी प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए बुल्डोजरों का बेजा इस्तेमाल सियासी चलन का एक हिस्सा बन गया है। ऐसी प्रतिक्रयाओं में अतिक्रमण, अनाधिकृत कब्जे और अवैध निर्माण के नाम से बिना कोई पूर्व सूचना दिए एकदम से बुल्डोजर इस्तेमाल करने की कार्रवाई आरंभ कर दी जाती है और पीड़ित पक्ष से गलत सही की जानकारी लिए बिना उसके कागज देखे बिना ही उसके घरों, उसके व्यवसायिक स्थलों को और इसी के बीच अगर कोई धार्मिक स्थल भी आ रहा है तो उसे भी बिना पूछताछ किए ही आनन फानन में गिराया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट से ऐसी कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश प्राप्त हो जाने के बाद भी बुल्डोजर की कार्रवाई को काफी देर तक जारी रखा जाता है और उस क्षेत्र की जनता को सियासी आधार पर भयभीत बनाने का वातावरण भी बनाया जाता है। हमें इन परिस्थितियों में ईश्वर से, अल्लाह से, वाहे गुरु से और जिस परम शक्ति में भी हमारी आस्था है उससे यही प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारे समाज को, हमारे क्षेत्र को, हमारे सूबे को, हमारे देश को और पूरे विश्व को ऐसी स्थिति से बचाए जिसमें कुछ असीमिति लोग असीमिति शक्तियों को अपने हाथों में न ले पाए। विश्व की व्यवस्था में लोकतंत्र भी तभी जीवित रह सकता है जब किसी भी सत्ता के सामने मजबूत विपक्ष खड़ा हो। यह संतुलन 52-48, 53-47 या अधिकतम 55-45 फीसदी का अंतर
सत्ता व विपक्ष की शक्ति के रूप में हमारी व्यवस्था से जुड़ना चाहिए। सत्ता किसी की भी हो विपक्ष मजबूत होना ही चाहिए। हमें मिलकर जनहित में यही कामना करनी चाहिए।

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