- सर्दी में वायु प्रदूषण बढ़ने से भी होती है क्षय रोगियों को परेशानी
- क्षय रोगी ठंड के समय बाहर न निकलें, खानपान का भी रखें ध्यान
गाजियाबाद। सर्दी बढ़ रही है। ऐसे में सभी को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। विशेष रूप से क्षय रोगियों को अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है। टीबी दो प्रकार की होती है। पल्मोनरी (फेफड़ों की टीबी) और एक्सट्रा पल्मोनरी (शरीर के दूसरे अंगो की टीबी)। हमारे देश में 90 प्रतिशत मामले पल्मोनरी टीबी के होते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि क्षय रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही फेफड़े भी कमजोर हो जाते हैं।सर्दी बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ जाता है, जिसका सीधा असर फेफड़ो पर ही पड़ता है। एनसीआर के जिलों में तो वायु प्रदूषण की समस्या और भी गंभीर है। ऐसे में जरा सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। क्षय रोगियों को दूसरी मौसमी बीमारियां भी आसानी से अपना शिकार बना लेती हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. डीएम सक्सेना ने बताया कि सर्दी के मौसम में जुकाम, खांसी और फ्लू का संक्रमण स्वस्थ व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले लेता है। एनसीआर के जिलों में सर्दी बढ़ने के साथ वायु प्रदूषण गंभीर रूप धारण कर इस तरह की समस्या को और बढ़ा देता है। क्षय रोगी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते आसानी से चपेट में आ जाते हैं। इसलिए इस मौसम में क्षय रोगियों को खासतौर पर सावधान रहने की जरूरत है। सुबह – शाम प्रदूषण स्तर ज्यादा रहता है इसलिए ऐसे समय में घर से बाहर निकलने से बचें। सर्दी भी कई बार निमोनिया का कारण बन सकती है, इसलिए सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनें और धूप होने पर ही घर से बाहर निकलें।
इसके साथ ही क्षय रोगियों को इस मौसम में खानपान को लेकर भी विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। घर में बना हुआ पौष्टिक भोजन करें। उच्च प्रोटीन युक्त भोजन जैसे अंडा, अंकुरित दालें और सोयाबीन के साथ ही हरी सब्जियों का इस्तेमाल करें। अपनी दवा लेने में कोई लापरवाही न करें। घर से बाहर निकलते समय मॉस्क का प्रयोग करें। इससे जहां क्षय रोगी के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों की संक्रमण से रक्षा होगी वहीं क्षय रोगियों का भी प्रदूषण से बचाव हो सकेगा। कुछ हद तक ही सही मॉस्क ठंड से बचाव में भी मदद करता है।