- आंदोलन में समाजवादियों की भूमिका पर गोष्ठी का आयोजन
गाजियाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र के प्रांगण में अंग्रेजों भारत छोड़ो, आन्दोलन में समाजवादियों की भूमिका विषय पर एक सभा आयोजित की गयी, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृत साहित्य के महान विद्वान, मूर्धन्य कवि डा. विशन लाल गौड़ रहे, अध्यक्षता वरिष्ट समाजवादी चिन्तक सी. पी. सिंह ने की। मुख्य वक्ता शिक्षाविद, समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव भी कार्यक्रम में शामिल रहे। राम प्यारे यादव, जगतार सिंह भट्टी, जय नारायण शर्मा, एसपी छिब्बर ने भी सभा में भाग लेकर विचार व्यक्त किया। संचालन अनिल मिश्र ने व कार्यक्रम का आयोजन इंजीनियर धीरेन्द्र यादव ने किया। कार्यक्रम में शामिल सभी साथियों ने गगन भेदी नारे लगाते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों को स्मरण करते हुए 9 अगस्त क्रांति 1942 को महात्मा गाँधी द्वारा आह्वान किये गये मन्त्र करो या मरो पर विस्तार से चर्चा की। वीरेन्द्र यादव एडवोकेट ने अतिथियों का स्वागत शाल ओढ़ाकर किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डा. विशन लाल गौड़ को इस अवसर पर शाल ओढ़ाकर, बुके भेंटकर सम्मानित किया गया। डा. गौड़ ने कहा कि देश में पाखंड बढ़ता जा रहा है। गलती हम करते हैं और चाहते हंै कि देवी-देवता हमें माफ करेें, हममे भ्रम है कि हम विश्व गुरु बनेंगे लेकिन समाजवादी विचार भी पाश्चात्य की देन है, हमने अंग्रेजों की चालाकी तो सीख ली, लेकिन उनकी सफल शासन व्यवस्था को अंगीकार नहीं कर पाये। हमें शहीदों, क्रांतिकारियों के विचार जिन्होंने कभी कमजोर वर्ग और निर्दोष को कष्ट नहीं पहुंचाया, उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए तथा समावेशी समाज बनाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा समझौते से पीछे हटने के कारण महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन के विरोध में एक सभा में प्रस्ताव पारित कर निर्णायक लड़ाई लड़ने का आह्वान भारत की जनता से किया ही था कि ब्रिटिश सरकार ने सारे कांग्रेसी नेताओं को आन्दोलन को असफल बनाने के लिए गिरफ्तार कर लिया, बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में मौलाना अबुल कलाम आजाद जिस ट्रेन से झंडा फहराने जाने वाले थे, वहीं पर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की नेत्री अरुणा आसिफ अली ने उसी ट्रेन से मैदान में जा हजारों की भीड़ को चीरती हुई राष्ट्रीय झंडे को फहरा दिया, अंग्रेजों की पुलिस हक्का-बक्का रह गयी, वहां भीषण लाठी चार्ज हुआ। समाजवादियों के नेतृत्व में डा. राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता, उषा मेहता, अच्युत पटवर्धन, अरुणा आसिफ अली, युसुफ मेहर अली अंग्रेजों के विरुद्ध जनता में आन्दोलन को ले जाने में सफल रहे, समाजवादी नेता जय प्रकाश नारायण, रामानंद मिश्र, हजारी बाग जेल फांदकर भूमिगत रहे और इस आन्दोलन को धार दी। अंग्रेजी सरकार घबरा गयी, दमन चक्र इतना भयंकर था कि 940 से ज्यादा लोग शहीद हुए। 18 हजार डीआईआर में बन्द किये गये, हजारों लोग घायल हुए, 70 हजार से अधिक लोग गिरफ्तार हुए। उस समय भी भारत की भयावह आर्थिक, सामाजिक स्थिति थी, किसानों, मजदूरों, व्यापारियों का शोषण, भारत के संसाधनों की लूट, महंगाई की मार से जनता बेहाल थी, महात्मा गांधी ने कहा कि या तो हम आजाद होंगें या जान दे देंगें, उसी आन्दोलन का परिणाम रहा कि 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ।
राम दुलार यादव ने कहा कि वर्तमान आजादी के 75 वर्ष होने को हैं लेकिन अब भी कमोबेस देश की भयावह स्थिति है, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। लोकतंत्र की रीढ़, विपक्ष मुक्त भारत बनाने का सपना देखा जा रहा है। महंगाई आसमान छू रही है, जनता त्राहि-त्राहि कर रही है, बेरोजगारी चरम पर है और 45 साल के नीचे स्तर पर पहुंच गयी है। कानून व्यवस्था चौपट है, भारत की जनता पर प्रति व्यक्ति एक लाख से ज्यादा का कर्ज हो गया है, लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर सरकारी कब्जा हो गया है, वह सच दिखाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। डा. भीमराव अम्बेदकर ने कहा है कि मैं संविधान में ब्रह्मास्त्र से ज्यादा ताकतवर व्यस्क मताधिकार की व्यवस्था कर रहा हूँ जिससे आप नकारा, तानाशाह, अकर्मण्य सरकार को बदल सकते हैं, लेकिन निजी स्वार्थ और प्रलोभन में अशिक्षा और अन्धविश्वास, नफरत और असहिष्णुता के कारण हम मताधिकार का प्रयोग सही व्यक्ति के पक्ष में नहीं कर पाते, आज सरकार का सम्पूर्ण कार्य घोर पूंजीवादी व्यवस्था को मजबूत करना है, हम अपने असली लोकतंत्र के दुश्मनों को पहचानने में भूलकर रहे हंै, यदि स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों के सपनों का भारत बनाना चाहते हंै तो जाति-धर्म, ऊंच-नीच की दीवार को तोड़ निजी स्वार्थ का परित्याग कर देश हित में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के बारे में पूरी ताकत लगायें नहीं तो बड़ी कुर्बानी से मिली हुई आजादी गुलामी को जन्म देगी, मानसिक गुलामी को छोड़ आजादी को अपनाएं तभी महापुरुषों के सपनों को हम साकार कर सकते हैं। समाजवादी चिन्तक सीपी सिंह को भी बुके भेंटकर शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, उन्होंने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि हमें समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता को देश, समाज में कायम करना चाहिए, समाजवादियों का इस आन्दोलन में जो योगदान रहा है उसे भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से एसएन जायसवाल, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, शिव शंकर, मुकेश शर्मा, राम जन्म यादव, मुखिया यासीन, ब्रह्म प्रकश, एसएन अवस्थी, राम प्यारे यादव, फौजुद्दीन, रोहन जाटव, भीम सिंह चौहान, डा. नीतू जैन, बिन्दू राय, मीना ठाकुर, उर्मिला पटेल, ओम प्रकाश अरोड़ा, पंचम मौर्य, मोहित पांडेय, बैजनाथ रजक, मुनीव यादव, देवमन यादव, पुष्पेन्द्र, हरीश ठाकुर, अवधेश यादव, वकील, फिरोज चौधरी, कृष्ण कुमार दीक्षित, शैलजा शर्मा आदि ने शहीदों को स्मरण किया।