- 21 नवंबर से आशा-एएनएम घर-घर जाकर बता रहीं परिवार नियोजन के लाभ
- परिवार नियोजन अपनाने के इच्छुक लाभार्थी पहले से पंजीकरण करा लें
गाजियाबाद। परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर मिथक तोड़ने का समय है। सबसे पहला मिथक तो यही है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम जनसंख्या नियंत्रण के लिए है। ऐसा नहीं है, परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनी शारीरिक और आर्थिक स्थिति के मुताबिक पूरी योजना के साथ परिवार पूरा करने का कार्यक्रम है। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने कहीं। उन्होंने कहा परिवार नियोजन का उद्देश्य प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना भी है। विवाह के उपरांत महिला के शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही गर्भधारण करने सलाह दी जाती है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर (ताकि मां और शिशु स्वस्थ रहें) भी परिवार नियोजन कार्यक्रम का उद्देश्य है। सीएमओ ने कहा कि दूसरा बड़ा मिथक यह है कि नसबंदी कराने से पुरुष में कमजोरी आती है। यह बात भी एकदम निराधार है। पुरुष नसबंदी विशेषज्ञ डिप्टी सीएमओ डा. जीपी मथूरिया ने कहा कि पुरुष नसबंदी स्थाई परिवार नियोजन का एकदम सुरक्षित और कारगर उपाय है। यह मामूली सी शल्य क्रिया है और महिला नसबंदी के मुकाबले आसान भी है। नसबंदी कराने के बाद पुरुष में किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती। इसलिए पुरुषों को भी परिवार नियोजन में बराबर की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शासन के निर्देश पर जनपद में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। 21 नवंबर से आशा – एएनमएम घर-घर जाकर इस बारे में जानकारी दे रही हैं और परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इच्छुक लाभार्थियों का पंजीकरण कर सोमवार से शुरू होने वाले सेवा प्रदायी सप्ताह के दौरान परिवार नियोजन संबंधी सेवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी।
सीएमओ ने कहा कि पहले से पंजीकरण कराने से यह सेवाएं उपलब्ध कराने में विभाग को काफी सहुलियत हो जाती है। परिवार नियोजन का स्थाई साधन अपनाने वाले महिला और पुरुष के लिए पहले से ओटी आरक्षित कर दिया जाता है और विशेषज्ञों के साथ तमाम जरूरी व्यवस्थाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो जाती है। इसलिए इच्छुक लाभार्थी आशा और एएनएम से मिलकर पंजीकरण करा लें। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान 28 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलने वाले सेवा प्रदायी सप्ताह के दौरान भी परिवार नियोजन की सभी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
परिवार नियोजन साधनों का प्रयोग बढ़ा
पांच वर्ष 2019-21 के दौरान हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -पांच (एनएफएचएस-5) के मुताबिक जनपद में परिवार नियोजन साधनों का प्रयोग बढ़ा है। 2015-16 में हुए एनएफएचएस-चार के मुताबिक संतान उत्पत्ति योग्य दंपत्ति में से 65.9 फीसदी कोई न कोई साधन अपनाते थे वहीं एनएफएचएस-5 के मुताबिक ऐसे दंपत्ति बढ़कर 72.7 फीसदी हो गए। पूरे सूबे की बात करें ऐसे दंपत्ति 45.5 प्रतिशत से बढ़कर 62.4 प्रतिशत हो गए हैं।