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मुहब्बत करने वाले कोई तैयारी नहीं करते…

  • बी.एन. तिवारी की पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन आयोजित
    गाजियाबाद।
    श्रमिकों के हितों को लेकर आंदोलनरत रहे एवं भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष रहे बी.एन.तिवारी को पहली पुण्यतिथि पर हिन्दी भवन में श्रद्धांजलि सभा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी ने की।
    टैक्नीकल एजुकेशन बोर्ड आॅफ यूपी के उपाध्यक्ष दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बलदेव राज शर्मा, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य पृथ्वी सिंह कसाना, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय मंत्री गिरीश आर्य, प्रदेश संगठन मंत्री रामनिवास, विभाग प्रमुख जगदीश वाजपेई, प्रांत प्रमुख शंकरलाल, प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र पाल प्रजापति, जिलाध्यक्ष नितिन रोहतगी, चंद्रभानु मिश्र, विजेंद्र कुमार, राधेश्याम पांडे आदि ने विचार व्यक्त किए। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, समाजसेवियों, संघ के पदाधिकारियों व गणमान्य व्यक्तियों ने स्वर्गीय बीएन तिवारी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया और उनके पुत्र पंकज तिवारी के पितृसम्मान को सराहा। इसके बाद हुए कवि सम्मेलन की शुरूआत की गई। कवियों, शायरों व कवयित्रियों ने शानदार रचनाएं सुनाकर खूब समां बांधा। सरस्वती वंदना के बाद कवयित्री धीर सुप्रिया श्रीवास्तव ने अपनी कविता कुछ यूं पढ़ी- दुनिया पे लगा के तोहमत, खुद बच के निकल जाना, सीखा कहां से तुमने अपनों को छल जाना। डॉ. जय प्रकाश मिश्र ने अपनी हास्य व्यंग्य की कविताओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। उन्होंने मोदी के कृषि कानून वापसी लेने की घोषणा के बाद किसान नेताओं पर व्यंग्य करते हुए कहा- चाहा था हवेली को, बिटौरा दे दिया तुमने, छीनकर हाथ से सत्ता, घिटोरा से दिया तुमने।
    शायर शरफ नानपरवी ने अपनी गजल कुछ यूं पढ़ी- मुहब्बत का परचम संभाले रहेंगे, जहां हम रहेंगे उजाले रहेंगे। कवयित्री ऋचा सूद ने कविता में अपने जज्बात यूं बयां किये – मेरे साथ नहीं गीतों-गजलों की लड़ी, मैं तो उम्र भर हालातों से ही लड़ी।
    वरिष्ठ पत्रकार व शायर राज कौशिक ने अपने खास अंदाज के शेर सुनाकर जमकर दाद लूटी। उनके इस शेर को खूब पसंद किया गया- ये खाली हाथ मेरे देख मत सोचो कि मांगूंगा, यूं खाली हाथ हैं मेरे, मैं सब कुछ बांट आया हूं। शहर के जाने माने शायर मासूम गाजियाबादी ने अपने चिर परिचित अंदाज में शेरों के माध्यम से आम लोगों जीवन का चित्र बयां किया- यूं भी बचाई हमने गरीबी की आबरु, नंगे भी हुए तो अदब से तमीज से। भूखे हुए तो पेट को घुटनों से ढक लिया, सर्दी लगी तो ढक लिए घुटने कमीज से। शायर अंदाज देहलवी का अंदाज गजब रहा। उनके
    इस शेर को बहुत दाद मिली- जा के दुश्मन से मेरे दोस्ती पक्की कर ली, एक ही रात में भाई ने तरक़्की कर ली। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे सुविख्यात शायर विजेंद्र सिंह ‘परवाज’ ने कई रंगों में अपना काव्य पाठ किया। फिर अपने मूल रंग मुहब्बत पर शेर पढ़ा- किसी की बेवफाई पर भी दिल भारी नहीं करते, मुहब्बत जिनको आती है, अदाकारी नहीं करते। नजर मिलते ही दिल से दिल की बातें होने लगती हैं, मुहब्बत करने वाले कोई तैयारी नहीं करते। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार-शायर राज कौशिक ने किया। स्वर्गीय बी. एन तिवारी के पुत्र पंकज तिवारी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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