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शिक्षक ही देश के वास्तविक निर्माता: ओम पाठक

  • डीपीएसजी वसुंधरा में धूमधाम से मनाया गया शिक्षक दिवस
    गाजियाबाद।
    दिल्ली पब्लिक स्कूल गाजियाबाद, वसुंधरा के प्रांगण में शिक्षक का आयोजन किया गया। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विद्यालय प्रशासन की ओर से 37 अध्यापक-अध्यापिकाओं को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। शिक्षक दिवस को छात्रों की सुप्त क्षमता को उजागर करके और शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव लाने में उनके निस्वार्थ प्रयास के लिए समाज में शिक्षकों द्वारा किए गए बहुमूल्य योगदान के लिए एक सम्मान दिवस के रूप में मनाया जाता है। डीपीएसजी प्रबंधन हमेशा शिक्षकों की गतिशील टीम पर गर्व करता हैए जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में अथक प्रयास किया है और संस्थान में अपने मेधावी कार्यकाल के दौरान अध्यापन के क्षेत्र में अभिनव योगदान देकर शैक्षिक उद्यम का प्रदर्शन किया है। ये पुरस्कार शिक्षा में उत्कृष्टता को पहचानने और जश्न मनाने का एक साधन हैं। डीपीएसजी प्रबंधन उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित कर इस बात पर प्रकाश डालता हैं कि शिक्षा में सफलता हमारे समाजिक स्वास्थ्य और व्यवसाय के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। अंशुल पाठक, उपाध्यक्ष,और कोषाध्यक्ष, डीपीएसजी सोसाइटी, द्वारा दीप प्रज्जवलन से कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया। दीप प्रज्जवलन के उपरांत भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूपों का प्रस्तुतीकरण किया गया। प्राचार्य त्रिलोक सिंह बिष्ट ने शिक्षकों सहित सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि एक समृद्ध और सुसंस्कृत राष्टÑ के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका है। माता पिता बच्चों को जन्म देते हैं लेकिन शाश्वत जीवन मूल्यों का समावेश कराना शिक्षक का ही दायित्व होता है। तदोपरान्त विधिवत कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि निहारिका पाठक (अध्यक्ष डीपीएसजी मेरठ रोड) रहीं, कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होंने शिक्षकों के योगदान पर प्रकाश डाला। डीपीएसजी प्रबंधन के चेयरमैन ओम पाठक ने शिक्षकों को देश का वास्तविक निर्माता बताते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति के सूत्र वाक्य तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाले साधन के रूप में चरितार्थ किया। समारोह के अन्त में विद्यालय की उपप्रधानाध्यापिका रितु सहगल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्टÑगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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