- राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर गोष्ठी सम्पन्न
- शिक्षक-शिष्यों के माध्यम से भविष्य का निर्माण करता है: आचार्य हरिओम शास्त्री
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर आॅनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।
वैदिक विद्वान आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि शिक्षक, अध्यापक और आचार्य ये तीनों ही मनुष्य निर्माण का कार्य करते हैं। एक शिक्षक व आचार्य अपने जीवन काल में असंख्य शिष्यों के निर्माण का पुण्य कार्य करता है। स्वामी दयानन्द महाराज ने प्रत्येक व्यक्ति को दैनिक करने योग्य पंच महायज्ञ में चौथा यज्ञ अतिथि यज्ञ रखा है। यह यज्ञ गुरुओं, शिक्षकों व आचार्यों की सेवा शुश्रुषा प्रतिदिन करने की प्रेरणा देता है। इससे शिक्षकों व आचार्यों के साथ गृहस्थी शिष्यों का भी मान-सम्मान बढ़ता है। अपने जीवन में एक माता पिता मिलकर अपने कुछ बच्चों का पालन-पोषण करते हैं परन्तु एक शिक्षक अपने जीवन में अपने त्याग, तपस्या और शिक्षा तथा आचरण से असंख्य शिष्यों का डडबनिर्माण करता है। अत: अथर्ववेद के वाचस्पति सूक्त में प्रार्थना की गई है- पुनरेहि वाचस्पते देवेन मनसा सह। कि हे वाणी के स्वामी अध्यापक शिक्षक और उपदेशक,आप दिव्य मन के साथ मेरे घर आओ।
अध्यक्षता करते हुए आर्य नेता हरिचंद स्नेही ने कहा कि शिक्षक अंधकार में प्रकाश की लो जलाता है । वह राष्ट्र का भविष्य तय निश्चित करता है। मुख्य अतिथि शिक्षाविद राज गुलाटी ने शिक्षक की त्याग, तपस्या पर प्रकाश डाला कि वह कच्ची मिट्टी को सवांर कर नया रूप प्रदान करता है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि आज शिक्षकों को सम्मान प्रदान करने की आवश्यकता है वही राष्ट्र की नीव के पत्थर है ।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आदर्श गुरु विरजानंद जी ने महर्षि दयानंद का निर्माण किया। गायिका रजनी गर्ग, रजनी चुघ, किरण सहगल, ईश्वर देवी,प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, कुसुम भंड़ारी, जनक अरोड़ा, चंद्र कांता आर्या,प्रतिभा कटारिया ने मधुर भजन सुनाये ।