कमल सेखरी
तालिबानी लड़ाकुओं को काबुल की सीमा में घुसकर वहां कब्जा किए तीन दिन हो गए। लेकिन इस दौरान काबुल की परिस्थतियां हर पल नई करवटें ले रही हैं और दिन में कई बार ऐसे हालात सामने आ जाते हैं जिन्हें लेकर किसी भी तरह का कोई ठोस विचार बना पाना संभव ही नहीं हो पा रहा है। क्योंकि तालिबानियों की करनी और कथनी में काफी अंतर है वो जो संदेश जनता के बीच में देते हैं कुछ ही घंटे बाद वहां कुछ ऐसा हो जाता है जो तालिबानियों की उन घोषणाओं के एकदम विपरीत होता है। खासतौर पर वहां महिलाओं को लेकर तालिबानियों ने कई सार्थक संदेश पहुंचाने की कोशिश की, यहां तक की उन्हें अपनी नई सत्ता में साथ जोड़ने की बात भी कही लेकिन वहीं दूसरे ही पल काबुल के कई हिस्सों से महिलाओं पर तालिबानियों के अत्याचार किए जाने की खबर दुनिया के सामने आ गई। हालांकि काबुल पर हुए इस तालिबानी कब्जे को लेकर कई देश गहरी चिंता में हैं लेकिन भारत की चिंता उन सबसे अलग और काफी अधिक गंभीर भी है। अगले कुछ दिनों में तालिबान काबुल में रह रहे भारतियों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह एक अलग सोचने की बात होगी। लेकिन वो आने वाले समय में भारत के लिए पाकिस्तान की तरह ही एक नई चुनौती और खतरा बनकर सामने आ सकता है, इसमें दोराय नहीं है। अफगानिस्तान का 106 किलोमीटर लंबा बॉर्डर पाकिस्तान अधिकृत काश्मीर की सीमाओं के साथ लग रहा है वो भारत के लिए अधिक खतरनाक है। पाकिस्तान अधिकृत काश्मीर जो पहले से ही पाकिस्तान के पोषण से पल रहे आतंकी गुटों की एक बड़ी शरणस्थली बना हुआ है, यह सारी दुनिया जानती है। इसी पाक अधिकृत क्षेत्र से पाकिस्तान कई सालों से निरंतर आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने का काम करता आ रहा है। यह क्षेत्र अफगानिस्तान की सीमा से लगा है और वहां अब खुंखार आतंकी तालिबान का कब्जा हो चुका है। लिहाजा तालिबान और पाक अधिकृत क्षेत्र में रह रहे आतंकियों को आपस में मिलकर भारत के खिलाफ कोई भी बड़ी हरकत करने में अधिक परेशानी नहीं होगी। यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि भारत तीन तरफ से घिर चुका है। जहां एक ओर सीमा विवादों को लेकर उसके संबंध चीन के साथ मधुर नहीं हैं वहीं पाकिस्तान भी भारत से पुरानी दुश्मनी निभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता है और अब तीसरा मोर्चा अफगानिस्तान में तालिबानियों का खुल जाने से यह संकट भारत पर और अधिक गहरा गया है। पिछले 24 घंटे में भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और अन्य मंत्रियों के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके हैं और भारत आने वाले समय में इन संभावित कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए गंभीरता से योजना बना रहा है।