एक राष्ट्र, एक चुनाव अभियान को लेकर राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित

- वर्ष 2034 में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न हों, इसके लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा
- अपनी पसंद का जनप्रतिनिधि चुनना लोकतांत्रिक अधिकार, यह अधिकार लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक
- बार-बार चुनाव देश की जीडीपी व विकास को प्रभावित करते हैं, कोई पक्ष इससे लाभान्वित नहीं होता
- एक राष्ट्र, एक चुनाव के सम्बन्ध में व्यापक चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए जनजागरण की आवश्यकता
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में राजनीतिक स्थिरता और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए एक राष्ट्र, एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ने के लिए लोगों को नयी राह दिखायी है। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए वन नेशन, वन इलेक्शन के भाव को अब मूर्तरूप देने का समय आ गया है। वर्ष 2034 में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न हों, इसके लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा।
मुख्यमंत्री एक राष्ट्र, एक चुनाव अभियान के अन्तर्गत आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता द्वारा अपनी पसंद का जनप्रतिनिधि चुनना, उसका लोकतांत्रिक अधिकार माना जाता है। यह अधिकार लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक है। यह अधिकार लोकतंत्र की शोभा है। लेकिन जब चुनाव हर वर्ष या हर 6 माह में होने लग जाएंगे, तो उसके प्रति आकर्षण गायब हो जाता है। यदि व्यक्ति अस्वस्थ है, या उसकी कार्यक्षमता कमजोर हुई है, तो डोज देकर मजबूत किया जा सकता है। यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति यह सोचे कि वह और स्वस्थ हो, तो वह स्वयं अपने साथ खिलवाड़ कर रहा है।
बार-बार चुनाव होना राजनीतिक अस्थिरता को देता है जन्म
लोकतंत्र में भी बार-बार चुनाव होना, जनता पर अनावश्यक बोझ डालता है। राजनीतिक अस्थिरता को जन्म देता है। देश में विकास की संभावनाओं को बाधित करता है। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। राजनीतिक अस्थिरता कभी भी देश की सम्प्रभुता, सम्पन्नता व विकसित देश की परिकल्पना को साकार करने में सहायक नहीं होती है। बार-बार चुनाव देश की जीडीपी को प्रभावित करते हैं। कोई पक्ष इससे लाभान्वित नहीं होता है। सिवाय राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने वाले, लोकतंत्र के विरोधियों व अराजक तत्वों के, जिन्हें यह एक अवसर देता है। राजनीतिक स्थिरता से सरकार विकास के नए रोडमैप को और विकास को तेजी के साथ आगे बढ़ा सकती है। वह सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम कर सकती है। नीतियां बनाकर समग्र विकास की रूपरेखा को आगे बढ़ा सकती है। समाज के प्रत्येक क्षेत्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। लेकिन जब राजनीतिक अस्थिरता होगी, तो नीतिगत फैसलों को लेने के लिए आवश्यक समर्थन का अभाव होगा। रोडमैप बनाने में लोगों के व्यक्तिगत स्वार्थ आड़े आते रहेंगे। सुरक्षा के लिए कार्य करने के लिए जो ठोस और सुदृढ़ व्यवस्था होनी चाहिए, उसके लिए कदम उठाने में बाधा आती है। जैसे प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले होता था। वर्ष 2017 के पूर्व उत्तर प्रदेश को आपने देखा होगा, जिसमें सरकार के समानान्तर हर जनपद में एक नयी सरकार संचालित होती थी। वह प्रदेश और देश का कानून नहीं मानते थे। देश की किसी भी संवैधानिक संस्था के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना, उनके लिए चुटकी का खेल था। संसाधनों पर लूट-खसोट करना, उनका विशेषाधिकार हो गया था।
राजनीतिक स्थिरता बढ़ाती है विकास को आगे
सीएम योगी ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता विकास को आगे बढ़ाती है। उत्तर प्रदेश इसके एक उदाहरण के रूप में आपके सामने है। उत्तर प्रदेश में यदि स्थिर सरकार नहीं होती, तो उत्तर प्रदेश को हम आज देश की एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित नहीं कर पाते। वर्ष 1947 से लेकर 2017 तक के 70 वर्षों में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे रही है। जब देश आजाद हुआ था, उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के बराबर थी। उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता था। लेकिन वर्ष 2017 तक आते-आते उत्तर प्रदेश, देश की सातवीं अर्थव्यवस्था रह गया था। अस्थिरता का आलम यह था कि उत्तर प्रदेश में कब कौन सरकार आ जाए, पलट जाए, कोई भरोसा नहीं था। हर जनपद में एक बड़ा माफिया पैदा करके उसको वहां पर लूट-खसोट करने, अराजकता पैदा करने, गुण्डाराज फैलाने की पूरी स्वतंत्रता दे दी गई थी। यह राजनीतिक अस्थिरता बार-बार चुनावों का दुष्परिणाम थी।
हर क्षेत्र में विकास बाधित किया गया था और उत्तर प्रदेशवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा किया गया था। जो उत्तर प्रदेश के साथ हुआ था, वही देश के साथ हुआ था। वर्ष 2014 के पूर्व दुनिया में पहचान का संकट भारत झेल रहा था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देश में वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को विकसित करने का सराहनीय प्रयास किया। राजनीतिक अस्थिरता का दौर चलता है, तो इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ता है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। दुनिया के सामने भारत अपनी पहचान बना रहा है और देश के सामने उत्तर प्रदेश ने अपनी पहचान बनाई है। वर्ष 1947 से वर्ष 2014 तक भारत देश की 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया था। मात्र 10 वर्षों में भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगले कुछ वर्षों में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। उत्तर प्रदेश जो देश की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था था, आज देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथ ही, देश की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने के लिए उत्तर प्रदेश सबसे तेज विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है।
