- समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या ज्यादा होती है
- गर्भवती के आरएच निगेटिव होने से बढ़ जाता है समय पूर्व प्रसव का खतरा
गाजियाबाद। समयपूर्व प्रसव गंभीर समस्या है। गर्भ के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले होने वाले प्रसव समय पूर्व प्रसव होते हैं। समय पूर्व जन्मे बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में कमजोर होते हैं। उनका पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर रहती है। ऐसे बच्चे जल्दी – जल्दी बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं। यह बातें बुधवार को जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा. संगीता गोयल ने कहीं। उन्होंने बताया – समय पूर्व प्रसव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 17 नवंबर को विश्व प्रीमेच्योरिटी दिवस मनाया जाता है। जागरूकता से समय पूर्व प्रसव से बचा जा सकता है।
डा. संगीता गोयल के मुताबिक समय पूर्व प्रसव के पीछे सबसे बड़ा कारण गर्भवती का आरएच निगेटिव होना है। इसके लिए गर्भकाल के सातवें माह में टीका लगाया जाता है। यह टीका जिला महिला चिकित्सालय में निशुल्क लगाया जाता है। बाजार में टीके की कीमत तीन हजार रुपए तक होती है। इसके लिए जरूरी है गर्भवती नियमित रूप से जांच कराएं। इसके अलावा गर्भवती के शरीर में पोषक तत्वों की कमी, खून की कमी, रेस्पिरेटरी समस्याएं भी समय पूर्व प्रसव के कारक हैं। इसलिए गर्भकाल के दौरान गर्भवती के खानपान का विशेष ध्यान रखने और नियमित रूप से जांच कराने की सलाह दी जाती है। गर्भकाल में कम से कम चार बार जांच कराना जरूरी होता है।
गर्भकाल में जांच के दौरान बच्चे की ग्रोथ की मॉनीटरिंग की जाती है। ग्रोथ कम होना भी समय पूर्व प्रसव का लक्षण है। इसके अलावा तनाव भी इसका बड़ा कारण है। तनाव के चलते गर्भवती उच्च रक्तचाप का शिकार हो जाती है और अंजाम समय पूर्व प्रसव के रूप में सामने आता है। नियमित रूप से जांच कराने पर इन समस्याओं की समय रहते जानकारी होने से प्रबंधन संभव है। गर्भवती चिकित्सक द्वारा दी गई दवा नियमित रूप से लें और खानपान का विशेष ध्यान रखें। नियमित अंतराल के बाद पानी पीतीं रहें।
62 प्रतिशत ने कराईं चार प्रसव पूर्व जांच
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – पांच के मुताबिक गाजियाबाद जनपद में केवल 62 प्रतिशत गर्भवती ही चार प्रसव पूर्व जांच करा पाईं। हालांकि पहली तिमाही में जांच कराने वाली गर्भवती 77.2 प्रतिशत थीं। हर माह की नौ तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस का आयोजन कर निशुल्क जांच की सुविधा प्रदान की जाती है। कोई समस्या होने पर हर माह की 24 तारीख को एफआरयू स्तरीय चिकित्सालय में आयोजित सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक में भेजा जाता है।