- क्यूंकि में एक टीचर हूँ’ कैंपेन की शुरूआत
गाजियाबाद। एक जमाने में भारत विश्व गुरु था। भारत की गुरु-शिष्य परंपरा दुनियाभर में प्रसिद्ध थी। लेकिन धीरे-धीरे ये परंपरा कहीं खो गई। आज भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाने के लिए एक बार फिर उस परंपरा को जीवित करने की जरूरत है। यूके स्थित वर्की फाउंडेशन द्वारा जारी ‘रीडिंग बिटवीन द लाइन्स: व्हाट द वर्ल्ड रियली थिंक्स आॅफ टीचर्स’ में पाया गया कि जब देश में शिक्षकों की स्थिति पर लोगों के निहित, अचेतन और स्वत: विचारों की बात आती है तो भारत छठे स्थान पर है। 35 देशों की इस नई वैश्विक सर्वेक्षण-आधारित रिपोर्ट के अनुसार अपने शिक्षण कार्यबल का मूल्यांकन करने में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शुमार है। शिक्षक के पेशे के सदियों पुराने मान-सम्मान को पुन: लौटाने और भारत को गुरुओं के सम्मान में विश्व का नंबर 1 देश बनाने के उद्देश्य से सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल गाजियाबाद ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एक अनोखे आॅनलाइन कैंपेन की शुरूआत की है। ‘क्यूंकि में एक टीचर हूँ’ कैंपेन देश के सभी शिक्षकों से अपने पेशे की चुनौतियों के साथ ही अपने कर्तव्य परिवहन के लिए दिए गए बलिदानों और एक शिक्षक के गौरव को दुनिया के सामने अपने वीडियोस के माध्यम से पेश करने की अपील करता है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम पर वीडियोस के माध्यम से ‘क्यूंकि में एक टीचर हूँ’ कैंपेन देश के शिक्षकों की गौरवमयी गाथाओं को उन्ही की जबानी प्रसारित करेगा । कैंपेन के बारे में बताते हुए शिक्षा नीति विशेषज्ञ एवं सिल्वर लाईन प्रेस्टीज स्कूल के निदेशक नमन जैन ने कहा कि शिक्षकों का सम्मान करना न केवल एक महत्वपूर्ण नैतिक कर्तव्य है, बल्कि यह देश के लर्निंग आउटकम को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हमारा ‘क्यूंकि में एक टीचर हूँ’ कैंपेन इसी दिशा में एक छोटी सी पहल है जो शिक्षक के पेशे की सर्वोच्च गरिमा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करता है।