- जीबीपी प्लांट हरित ऊर्जा के क्षेत्र में नया विकल्प होगा साबित
- केन्द्र एवं प्रदेश सरकार दे इजाजत तो एक रुपए प्रति यूनिट पर मिल सकती है बिजली
गाजियाबाद। अब तक आपने पानी से बिजली का उत्पादन करने की बात सुनी होगी लेकिन पानी से बिजली बनाने के लिए बड़े डेम की जरूरत होती है लेकिन बिना किसी डेम के ही हवा और पानी से बिजली बनाने का गाजियाबाद ने कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। जी हां टाटा स्टील में मैनेजर रामानुज तिवारी, यूपी जल निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अमित सहरावत ने एक ऐसा यंत्र बनाया है जिससे बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। हवा और पानी से बिजली बनाने का दावा ही नहीं बल्कि इसे कर दिखाया है। शुक्रवार को मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र स्थित देशराज केबल्स इंडस्ट्रीज में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में रामानुज तिवारी व अमित सहरावत ने बताया कि आज हम ग्रीन एनर्जी को लेकर बहुत उत्साहित हैं लेकिन इससे भविष्य में होने वाले नुकसान और उसके विकल्प की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दुनिया के कई देशों में ग्रीन हाउसों का उत्सर्जन कम करने के लिए जीवाश्म र्इंधन का विकल्प तलाशा जा रहा है। जीवाश्म र्इंधन पर निर्भरता खत्म करने के लिए ग्रीन इलेक्ट्रीसिटी का उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए हमें हाईड्रोलिक डेम, पवन यानी हवा, ऊर्जा और सौर ऊर्जा के विकल्प से भी आगे 24 घंटे काम करने वाली तकनीक की खोज करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि देश के कई हिस्सों में पानी स्रोत होते हैं जबकि कई जगह नहीं होते हैं। हवा और सूरज की रोशनी से चलने वाले संयंत्रों की कामयाबी भी क्षेत्र के अनुकूल होने पर भी निर्भर करती है। लेकिन हमने धरती के गुरत्वाकार्षण बल और पानी के उत्प्लावन बल को मिलाकर बिजली का उत्पादन करने का तरीका खोज निकाला है। इन दोनों के सिंक्रोनाइजेशन पर आधार जीबीपी प्लांट हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐसा विकल्प है जो किसी भी मौसम इलाके में काम कर सकता है। ये मशीन 24 घंटे काम कर सकती है। इसका अविष्कार भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बना सकता है। इसके साथ ही ग्लोबल वार्मिंग कम कर विश्व के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस अविष्कार को ईजाद करने में देशराज केबल्स का बड़ा सहयोग रहा है उन्होंने अपने फैक्ट्री परिसर में इस मशीन को बनाने और उसे स्थापित करने में काफी मदद की है। मीडिया के समक्ष इस मशीन को चलाकर दिखाया और उससे बिजली उत्पादन कैसे होता है इसके बारे में भी दिखाया गया। उन्होंने दावा किया है कि यदि यह प्रोजेक्टस प्रदेश एवं केन्द्र सरकार पास कर देती है तो इससे पूरे शहर को एक रुपए प्रति यूनिट बिजली दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि बिजली बनाने में न तो पानी की बर्बादी होती है और न ही इसको साफ पानी की जरूरत होती है। गंदे पानी से बिजली का उत्पादन और भी ज्यादा होता है।