- बृहमादेवी बालिका विद्यालय में टीबी और एचआईवी के प्रति किया जागरूक
हापुड़। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में मोदीनगर रोड स्थित बृहमादेवी बालिका विद्यालय में टीबी और एचआईवी के प्रति छात्राओंको जागरूक किया गया। कार्यक्रम में जनपद में एचआईवी पर काम कर रही गैर सरकारी संस्था, यूपीएनपी प्लस अहाना का भी सहयोग रहा। क्षय रोग को लेकर जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और एड्स को लेकर एचआईवी काउंसलर रजनी शर्मा ने छात्राओं को विस्तार से बताया। संवेदीकरण कार्यक्रम में विद्यालय की 11वीं और 12वीं कक्षाओं की बायोलॉजी की छात्राओं को शामिल किया गया था। विद्यालय की प्रधानाचार्या डा. रोमा त्यागी का इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग रहा।
डीटीओ डा. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि टीबी की बीमारी भी अन्य बीमारियों की ही तरह है और नियमित उपचार के बाद इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के संकल्प के साथ ही विभाग की ओर से जनांदोलन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बीमारी के प्रति आमजन का संवेदीकरण करना है ताकि सभी लोग बीमारी के बारे में जान सकें और जल्दी जांच व उपचार प्राप्त कर सकें। यह रोगी के खांसने और छींकने से फैलती है। इस दौरान संपर्क में आने पर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग टीबी की चपेट में आ सकते हैं। यह बीमारी रोगी को छूने से नहीं फैलती। रोगी के साथ ऐसा व्यवहार न करें जिससे उसका मनोबल कमजोर हो। डीटीओ ने एचआईवी – एड्सके बारे में बताया कि सावधानी के साथ सही जानकारी ही इससे बचाव का एक उपाय है। एचआईवी संक्रमित के साथ यौन संबंध, उसके द्वारा इस्तेमाल की गई निडिल का इस्तेमाल करना और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान इस संक्रमण के फैलने का खतरा रहता है। निडिल के सहारे ड्रग्स लेने वालों के इस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा रहता है।
एचआईवी काउंसलर रजनी शर्मा ने कहा – एचआईवी की जांच विभाग की ओर से पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एचआईवी की जांच निशुल्क की जाती है। अन्य बीमारियों की ही तरह इस बीमारी में भी मजबूत मनोबल होने से पीड़ित को बहुत लाभ मिलता है। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने कहा – एचआईवी संक्रमित की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यंत कमजोर हो जाती है, इसलिए सभी एचआईवी रोगियों की टीबी जांच अवश्य कराए जाने का नियम है।