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यज्ञ,योग,आयुर्वेद से प्रसन्न जीवन पर गोष्ठी सम्पन्न

  • यज्ञ योग आयुर्वेद जीवन का आधार है: डॉ. सुषमा आर्या
    गाजियाबाद।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में यज्ञ योग आयुर्वेद से प्रसन्न जीवन पर आॅनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. सुषमा आर्या ने कहा कि यज्ञ योग व आयुर्वेद जीवन का आधार है और सही मार्ग दिखाते हैं । उन्होंने बताया कि यज्ञ योग और आयुर्वेद इन तीनों का समन्वय सत्य है, अमृत है। इन तीनों के बिना जीवन रिक्त है। यह तीनों वेदों का निचोड़ है। इनसे व्याधियों की आंधियां मिटती हैं और मुक्ति का द्वार खुलता है। महर्षि दयानंद सरस्वती के ये शब्द तीनों की महत्ता को दर्शाते हैं। यजुर्वेद में यज्ञ की महिमा गाई गई है। प्रथम पांच अध्याय के सारे मंत्र यज्ञ की महिमा को बताते हैं। औषधियों के सेवन के साथ साथ आहुतियों से भी असाध्य रोगों का उपचार संभव है, जैसे मिर्गी के दौरे अथवा अवसाद। मानसिक अवसाद की समस्या में ब्राह्मी, शंखपुष्पी और शतावर का सेवन किया जाता है। साथ ही इसकी आहुति भी दी जा सकती है और शीघ्र रोग से दूर हुआ जा सकता है। अथर्ववेद में कहा गया है यज्ञ करने वाले को स्वर्ग और सुख की प्राप्ति होती है। योग की महिमा का खूब बखान किया गया है। आदि शिव मुनि ने योग को भारत में पुन:स्थापित किया। महर्षि पतंजलि को योग के पिता के रूप में जाना जाता है और आधुनिक युग का पिता टी श्रीकृष्णमाचार्य को माना जाता है और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का श्रेय स्वामी रामदेव को और विशेषतया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। श्री कृष्ण ने गीता के दूसरे अध्याय के 48 वें और 50 वें श्लोक में योग: कर्मसु कौशलम और समत्वं योग उच्यते —- बड़ी सुंदर योग की परिभाषा दी हैं। हठ प्रदीपिका के स्वामी स्वात्मानंद ने षट्कर्म को अपनाकर योग का मार्ग सरल होना बताया है। योग के नियमों का पालन करने से ही मनुष्य प्रसन्नता अनुभव करने लगता है। महर्षि पतंजलि ने ही अष्टांग योग की चर्चा की है। जो वास्तव में योग का आधार है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। महर्षि पतंजलि ने योग की परिभाषा करते हुए कहा है योगश्चित्तवृत्तिर्निरोध:। योग का मतलब केवल आसन करना नहीं है। मोक्ष का प्राप्त करना है। उपनिषद के अनुसार पांचों ज्ञानेंद्रियों को मन के साथ स्थिर करने को योग कहा गया है। पंच क्लेशों से बचने के लिए योग अर्थात ध्यान अनिवार्य है। मुख्य अतिथि डॉ. कल्पना रस्तोगी व अध्यक्ष रंजना मित्तल ने यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डाला। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आयुर्वेद मानवमात्र के लिए वरदान है। परिषद के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने दैनिक योग और प्रणायाम पर जोर दिया। गायिका प्रवीना ठक्कर, आशा आर्या,सुखवर्षा सरदाना, प्रेम हंस,संगीता आर्या,रजनी चुघ, रजनी गर्ग,कुसुम भंडारी, सुषमा गुगलानी, जनक अरोड़ा, शशि चोपड़ा,सुदेश आर्या आदि ने भजन प्रस्तुत किये। प्रमुख रूप से आनन्द प्रकाश आर्य, महावीर सिंह आर्य, सुदेश डोगरा, आर पी सूरी, राजकुमार भंडारी, राजेश मेहंदीरत्ता, आस्था आर्या आदि उपस्थित थे।

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