- ज्ञान पूर्वक कर्म ही श्रेष्ठ गति देगा: गवेन्द्र शास्त्री
- जीवन स्वयं एक कर्म क्षेत्र है: ओम सपरा
गाजियाबाद। केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में ज्ञान, कर्म, उपासना पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। वैदिक विद्वान आचार्य गवेंद्र शास्त्री ने कहा ज्ञान कर्म उपासना त्रिवेणी है। ऋग्वेद के द्वारा आलस्य को छोड़ दो, क्योंकि ज्ञान अग्नि हमेशा आगे बढ़ाती है। यजुर्वेद कर्म का वेद है। सब की सेवा करना सबसे उत्तम कर्म है। सामवेद वाणी का वेद हमेशा मीठी वाणी बोलो ईश्वर की उपासना है। अथर्ववेद मन का संयम और सहनशील सिखाता है। ज्ञान कर्म और उपासना मुक्ति के साधन है, त्रिवेणी हैं। मनुष्य जिस भी स्थिति में रहे ज्ञान कर्म उपासना के साथ रहे तो निश्चित ही जीवन की नौका पार हो जाएगी। ज्ञान पूर्वक न्याय त्याग पूर्वक संसार का भोग करना चाहिए। अपने आपको पहचानो यह मानव जीवन बड़ा अमूल्य है। अपने धर्म तथा कर्तव्य का पालन करो, आपके द्वारा किया गया ज्ञान पूर्वक कर्तव्य ही जीवन को श्रेष्ठ गति प्रदान कराएगा। अध्यक्ष आर्य नेता ओम सपरा ने कहा कि जीवन स्वयं एक कर्म क्षेत्र है जो हर पल जीना सिखाता है। मुख्य अतिथि डा.ॅ श्वेतकेतु शर्मा (अध्यक्ष,वेद प्रचार मंडल बरेली) ने कहा कि वेद मार्ग सर्वश्रेष्ठ है। व्यक्ति को पुरूषार्थी होना चाहिए। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि पुरुषार्थ ही इस दुनियां में सब कामना पूरी करता है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, संध्या पांडेय, ईश्वर देवी, सुखवर्षा सरदाना, जनक अरोड़ा, आशा आर्या ने भजन प्रस्तुत किये।