नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश की जनसंख्या को लेकर बड़ी बात कही। नागपुर में आयोजित किए गए स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नीति बनाया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती जनसंख्या देश के लिए बोझ है लेकिन इसे संसाधान भी बनाया जा सकता है। देश की जनसंख्या को लेकर एक ऐसी योजना बनाने का सुझाव रखा, जिसका प्रभाव 50 साल बाद तक देखने को मिले। जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है। इसकी अनदेखी करना दुष्परिणों के रूप में सामने आने तय हैं। उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नए देश बन गये। जनसंख्या नीति गंभीर मंथन के बाद तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए। अपने देश की जनसंख्या विशाल है, इसमें कोई दो राय नहीं है। जनसंख्या का विचार आजकल दोनों प्रकार से होता है। इस जनसंख्या के लिए उतनी मात्रा में साधन आवश्यक होंगे, वह बढ़ती चली जाए तो भारी बोझ, कदाचित असह्य बोझ बनेगी। इसलिए उसे नियंत्रित रखने का ही पहलू विचारणीय मानकर योजना बनाई जाती है। भारत को भी ऐसी ही योजना पर काम करना होगा। चीन ने अपनी जनसंख्या नियंत्रित करने की नीति बदलकर अब उसकी वृद्धि के लिए प्रोत्साहन देना प्रारंभ किया है। अपने देश का हित भी जनसंख्या के विचार को प्रभावित करता है। आज हम सबसे युवा देश हैं। आगे 50 वर्षों के पश्चात आज के तरुण प्रौढ़ बनेंगे, तब उनकी देखभाल के लिए कितने तरुण आवश्यक होंगे, यह गणित हमें भी करना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या नीति इतनी सारी बातों का समग्र व एकात्म विचार करके बने, सभी पर समान रूप से लागू हो, लोक प्रबोधन द्वारा इस के पूर्ण पालन की मानसिकता बनानी होगी। तभी जनसंख्या नियंत्रण के नियम परिणाम ला सकेंगे।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में आर्थिक तथा विकास नीति रोजगार उन्मुख हो यह अपेक्षा स्वाभाविक ही कही जाएगी। लेकिन रोजगार यानि केवल नौकरी नहीं यह समझदारी समाज में भी बढ़ानी पड़ेगी। कोई काम प्रतिष्ठा में छोटा या हल्का नहीं है, परिश्रम, पूंजी तथा बौद्धिक श्रम सभी क महत्व समान है, यह मान्यता व तदनुरूप आचरण हम सबका होना पड़ेगा। उद्यमिता की ओर जाने वाली प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन देना होगा। स्टार्टअप इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं, इन्हें और आगे बढ़ाने की जरूरत है।