- लुधियाना में सदगुरु अनीशनाथ ने अकेला के पुत्र को किया सम्मानित
गाजियाबाद। कहते हैं शब्द कभी नहीं मरते हैं। इसलिए महान ऋषियों, कवि, शायरों व अनेक लेखकों द्वारा लिखे गए ग्रंथ, काव्य संग्रह, शायरी संग्रह आज भी उन महान विभूतियों की याद दिलाते हैं जो हमारे बीच नहीं हैं। ऐसे ही एक कवि मुरादनगर के थे जिनका नाम इन्द्रप्रसाद अकेला था। एक सड़क दुर्घटना में वे पूरे परिवार को अकेला छोड़ गए थे लेकिन उनके पुत्र अनुभव ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए काव्य से प्रेम जारी रखा और आज वे भी काव्य मंच को सुशोभित करते हैं। लेकिन इन्द्रप्रसाद अकेला द्वारा लिखी गर्इं कविताएं आज भी उन्हीं की तरह अज्र व अमर हैं। पंजाब में उनके द्वारा लिखी गई कविताओं को बहुत पंसद किया गया। सद्गुरु अनीशनाथ जी महाराज के जन्मदिवस पर लुधियाना में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में स्वर्गीय इन्द्रप्रसाद अकेला के पुत्र अनुभव को भी आमंत्रित किया गया। अनुभव इस कार्यक्रम में पहुंचे सदगुरु अनीशनाथ जी से आशीर्वाद लिया। अनुभव ने बताया कि गुरु अनीशनाथ जी जब प्रवचन कर रहे थे तब बीच-बीच में उनके मुख से स्वर्गीय पिताजी की लिखी कविताएं निकल रही थीं। इससे देखकर और सुनकर बहुत अनुभूति हुई। ऐसा लगा कि आज पिताजी का सपना साकार हो गया। गुरु जी से भगवान गोरखनाथ की महिमा को जानने का मौका भी मिला। कार्यक्रम के अंत मे, मंच से पिताजी के बारे में जो गुणगान सदगुरु जी ने किया, उससे पूरा जिला गाजियाबाद धन्य हो गया। सम्मान स्वरूप गुरु जी ने
अपने गले से एक रुद्राक्ष की माला, स्मृति चिह्न, गुलाब के फूल की माला, फूलों का गुलदस्ता, पटक, लक्ष्मी जी का आशीर्वाद देकर अभिभूत कर दिया।। तालियों की गड़गड़ाहट एक नई ऊर्जा के स्त्रोत से ओतप्रोत कर गयी। प्यार, आशीर्वाद व सम्मान को मैं अदना सा बालक जितना अपने में समेट पाया, ले आया।