नई दिल्ली। फिल्मी दुनिया में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अभिनय की ऐसी छाप छोड़ी है जो दर्शकों के दिलोदिमाग पर हमेशा रहेगी। जी हां एक ऐसे ही फिल्मी कलाकार की हम बात कर रहे हैं और वो हैं रितुपर्णों घोष। पुरुष कलाकार होने के बाद भी उन्होंने फिल्मों में अभिनय महिला का किया। ऐसा सशक्त अभिनय किया कि उनकी फिल्मों को 12 नेशनल और कई इंटरनेशनल अवार्ड जीते हैं।
उन्हें महिलाओं की तरह सजना, संवरना बेहद पसंद था। बंगाली सिनेमा में सत्यजीत रे के बाद बेहतरीन डायरेक्टर्स की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आज भी रितुपर्णो घोष का ही नाम आता है। उन्होंने महिलाओं पर आधारित एक से बढ़कर एक फिल्में बनाई हैं। उनकी फिल्में बंगाली सिनेमा की बेस्ट फिल्मों की लिस्ट में आज भी शामिल हैं। अपनी जिंदगी के आखिरी सफर में वे काफी अकेले पड़ गए थे। वजह उनका पुरुष से महिला बनना था। उन्होंने इसके लिए कई सर्जरी भी करवाई थीं। आखिरी समय में वो पूरी तरह से एक सलवार सूट और साड़ी पहनकर मेकअप में रहने वाली औरत बन गए। शायद यही उनकी मौत का कारण भी बना। आज उनका 59 वां जन्मदिन है।
रितुपर्णो घोष का जन्म 31 अगस्त 1963 को कोलकाता की एक बंगाली फैमिली में हुआ था। उनके पिता डाक्यूमेंट्री बनाने का काम करते थे। 20 साल की उम्र में ही उन्होंने कॉपीराइटर का काम करना शुरू कर दिया था। 1992 में उनकी पहली फिल्म हीरेर अंगति रिलीज हुई थी। इसी साल इनकी दूसरी फिल्म आई जिसका नाम था उनिशै अप्रैल। इस फिल्म का खासा पसंद किया गया।