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यूक्रेन में फंसे छात्रों को लाने के लिए वीके सिंह समेत चार मंत्रियों को सौंपी जिम्मेदारी

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ली हाईलेवल की मीटिंग, लिया गया निर्णय
  • भारतीय छात्रों को रेस्टोरेंट में घुसने पर लगा दी गई रोक
    नई दिल्ली।
    रूस व यूक्रेन के बीच चल युद्ध के चलते यूक्रेन के विभिन्न प्रांतों में फंसे हजारों भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने एक अहम बैठक की और अपने चार मंत्रियों को यूक्रेन की सीमा से सटे देशों में भेजा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात भी हाईलेवल बैठक ली थी और पूरा फोकस छात्रों को सकुशल भारत लाने पर रहा। आज सुबह हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत सरकार के मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिराज सिंधियां, किरण रिजिजू व वीके सिंह हैं यूक्रेन से सटे देशों में जाकर वहां छात्रों को सकुशल लेकर आएंगे। बता दें कि वीके सिंह ने इराक में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट कराने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन इस बार यूक्रेन में फंसे भारतियों की संख्या बेहद अधिक है इसलिए भारत के चार मंत्री जा रहे हैं। उधर, सबसे खराब स्थिति में यूक्रेन में फंसे वो छात्र हैं जो रोमेनिया बॉर्डर पर इकट्ठा हुए हैं। घर कब जा पाएंगे यह पता नहीं है और बॉर्डर पर न रात गुजारने की कोई व्यवस्था है, न खाने-पीने का कोई इंतजाम है। सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि बॉर्डर के आसपास के जो रेस्टोरेंट हैं, उन्होंने अपने यहां ‘नो इंडियंस अलाउड’ का बोर्ड लगा रखा है। झांसी के रहने वाले डॉ. एसएस सिंह, जो कि इस समय महोबा के एक राजकीय महाविद्यालय में प्राचार्य हैं, उनका बेटा अखिल यूक्रेन में मेडिकल का छात्र है। हजारों अन्य बच्चों की तरह वह भी रोमेनिया बॉर्डर पर फंसा हुआ है। अखिल ने बातचीत में बताया कि उनका लगभग डेढ़ सौ छात्रों का एक ग्रुप बस से रात भर का सफर तय करके रोमेनिया पहुंचा। बॉर्डर तक का लगभग 10 किमी का सफर इन लोगों ने पैदल तय किया। यहां सुबह सात बजे बॉर्डर खुला तो केवल 60-70 बच्चे अंदर किए गए और फिर से बॉर्डर बंद हो गया।
    बताया गया कि शाम को चार-पांच बजे दोबारा खुलेगा। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कोई रोस्टर या शेड्यूल तय नहीं है कि कब कितने बच्चे बॉर्डर से पार किए जाएंगे। अब भी लगभग छह हजार बच्चे फंसे हुए हैं। अखिल ने बताया कि खाने के लिए बिस्किट या थोड़े-बहुत पैक्ड फूड का इंतजाम तो इन लोगों के पास है लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे खराब बात तो यह है कि अगर कोई भारतीय वहां रेस्टोरेंट में जाकर खाना चाहे तो उसका स्वागत ‘नो इंडियंस अलाउड’ के साइनबोर्ड से हो रहा है। इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स में कई ऐसी वीडियो भी सामने आई हैं जिनमें यूक्रेन के सैनिक भारतीय छात्रों के साथ अभद्रता कर रहे हैं इतना ही नहीं उन्हें लातों से मारा जा रहा है। खुले आसामन के नीचे रात गुजारने पर भारतीय छात्र मजबूर हैं।

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