देहरादून। यहां गुजराड़ा गांव में पिछले दो माह से चलाई जा रही नवजन चेतना सामाजिक संस्था की शाखा जनचेतना केन्द्र में अब तक नियमित रूप से आ रहे बच्चों के लिए पठन-पाठन का कार्य आरंभ कर दिया गया है। खेलों का भरपूर आनंद उठा रहे इन बच्चों की पढ़ने में भी अदभुत रुचि नजर आई। खेलो भी और पढ़ो भी, इस आधार पर नया कार्यक्रम बनाया गया। सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे श्रमिक कालोनियों के ये बच्चे स्कूल टाइम के बाद जनचेतना केन्द्र में आते हैं जहां एक घंटा तीन से चार बजे तक खेलकूद में भरपूर मनोरंजन करते हैं, यहां इन्हें कई तरीके के खेलों में शामिल किया जाता है जैसे फुटबॉल, बैडमिंटन, कैरमबोर्ड, शतरंज के अलावा और कई खेल यंत्रों के साथ ये इस घंटे के दौरान खेलते हैं और इसके बाद चार से पांच बजे के बीच इनका पठन-पाठन का कार्य होता है। बच्चों को स्कूलों में दिए जा रहे होमवर्क में आ रही कठिनाइयों को दूर कराया जाता है और उन्हें नैतिक ज्ञान और व्यक्तित्व निखार की बातें भी सिखाई जाती हैं। इन बच्चों को शिक्षा देने का कार्य सेना के अधिकारी ब्रिगेडियर श्री बहल की पत्नी रचना बहल कर रही हैं। रचना बहल गुजराड़ा गांव की ही मूल निवासी हैं और आर्मी स्कूल में प्राचार्य के पद पर कार्य कर चुकी हैं। रचना बहल एमए, एमएड हैं और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में तीस वर्ष से अधिक का अनुभव है। रचना बहल रोजाना दो घंटे केन्द्र परिसर में आकर बच्चों के साथ अपना समय देती हैं और बच्चों के व्यक्तिव निखार और शिक्षा से संबंधी कई तरह की बातें उन्हें बताई जाती हैं। अंक गणित, विज्ञान, इतिहास, भुगोल आदि विषयों पर बच्चों को अध्ययन कराया जाता है। अब आरंभ हुई इस पठन-पाठन कार्यक्रम की शुष्आत ईश वंदना से हुई और इसका समापन राष्टÑगान से हुआ। बच्चों को निशुल्क पुस्तकों का भी वितरण किया गया, ये पुस्तकें गाजियाबाद स्थित इंग्राहम स्कूल के द्वारा केन्द्र को प्रदान की गई थीं। केन्द्र के संचालक एवं वरिष्ठ पत्रकार कमल सेखरी ने बताया कि प्रकृति के इस अदभुत नजारे के बीच जहां चारों तरफ जंगल हैं, पेड़ हैं, पहाड़ हैं, उस प्राकृतिक नजारे के साथ ये छोटे बच्चे जो असली भारत है, इनके लिए जो कार्य किया जा रहा है उसमें अदभुत आनंद की अनुभूति होती है। श्री सेखरी ने अपने सभी मित्रों से अनुरोध किया है कि वे एक दिन केन्द्र परिसर में आकर इन बच्चों के साथ अपना समय बिताएं, अपने अनुभव उनके साथ बांटे। पिछले कुछ दिनों में बच्चों के व्यक्तिव में जो बदलाव आया है उसका अनुभव करें। श्री सेखरी का कहना है कि आप एक दिन इन बच्चों के साथ बिताएंगे तो आपको अनूठे आनंद की अनुभूति होगी, ये बच्चे असली भारत हैं और आने वाला भारत ऐसी ही बच्चों के कंधों पर होगा। बच्चों के पठन-पाठन कार्य के आरंभ के दौरान केन्द्र संचालक कमल सेखरी की पत्नी कंचन सेखरी भी मौजूद रहीं।