रघुकुल रीत सदा चल आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
अभी चार दिन पहले ही अयोध्या में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करते समय 11 दिन अनुष्ठान पर रहे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई बड़े सियासी नेताओं ने अपना-अपना व्यक्तिव देते हुए बड़ी पुरजोरता से इन पंक्तियों को दोहराया कि रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाए पर वचन न जाई। देश के ये सभी बड़े सियासी नेता सीने फुला फुलाकर अपने उन वचनों को दोहरा रहे थे जिसमें उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में देश की जनता को यह वचन दिया था कि वो अयोध्या में उसी स्थान पर राम लला के मंदिर का निर्माण शुरू करेंगे जहां पर वो मंदिर पहले से ही स्थापित था। अपने इन लंबे-लंबे भाषणों में इन बड़े नेताओं ने यह भी कहा कि 22 जनवरी 2024 भारत के इतिहास में राम राज्य की एक नई शुरूआत है और देश की सियासत आज के दिन से एक नई करवट लेने जा रही है। अभी रामराज्य की यह सियासी घोषणा हुए दो दिन ही बीते थे कि 24 जनवरी को एक इतना बड़ा सियासी धमाका हुआ जिसने पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि रामराज्य की जो नई कल्पना दी जा रही है क्या यह सियासी धमाका उसी का एक अंश है। 24 जनवरी की सुबह से ही यह सुबगुबाहट गर्माने लग गई कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर भाजपा के साथ जा मिलेंगे। पिछले तीन दिनों में इस सुबगुबाहट की गर्मी इतनी तेज निकलकर आ गई कि 48 घंटे बाद ही यह साफ हो गया कि इंडिया गठबंधन की नींव रखने वाले नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन को छोड़कर अब फिर एक बार भाजपा की गोद में बैठने जा रहे हैं, इस शर्त पर कि वो मुख्यमंत्री बने रहेंगे। नीतीश बाबू का आना और जाना कोई नई बात नहीं है। पिछले दस साल में वो चौथी बार दल बदलकर फिर से भाजपा के पास जा रहे हैं। बार-बार आने-जाने से नीतीश कुमार के इस व्यवहार को पलटू नेता की संज्ञा भी दे दी गई है। अब बात नीतीश कुमार के फिर से भाजपा में जाने की नहीं है बल्कि उन बातों और शब्दों की है जिसे भाजपा नेताओं और नीतीश कुमार ने पिछली बार के दल-बदल के साथ सार्वजनिक मंचों पर कही थी। नीतीश कुमार ने कहा था कि मैं मरते मर जाऊंगा, मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन फिर भाजपा के पास दोबारा नहीं जाऊंगा। यह वचन सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार ने बिहार और देश की जनता को दिया था। ऐसा ही वचन भाजपा के बड़े नेता गृहमंत्री अमित शाह ने भी सार्वजनिक मंच से जनता के बीच दिया था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे अब हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। यह सार्वजनिक वचन अभी कुछ महीने पहले ही अमित शाह ने 13 अप्रैल 2023 को सार्वजनिक मंच से देश की जनता के सामने रखा था। इसी दौरान नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सभी विपक्षी दलों को अपने प्रयासों से एकजुट किया और लोगों को यह विश्वास दिलाया कि वो विपक्षी दलों को एक करके उनके संयुक्त प्रयासों से भाजपा को उखाड़ फेंकेंगे। लेकिन आज जो दृश्य देश के सामने आ रहे हैं वो हर चिंतनशील व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर हमारे देश की सियासत जा कहां रही है और उसका इतना नैतिक पतन हो कैसे रहा है। अभी चार दिन पहले ही रामराज्य की कल्पना करते हुए हमारे सत्ताधीश नेताओं ने जो वचन जनता को दिए वो आज उन पर कितने खरे उतर रहे हैं। देश शर्मसार है। गालियां देते हुए घर से बाहर निकले नेताओं के उस आचरण पर जो फिर से उस घर का दरवाजा खटखटा रहे हैं और उस घर के मालिक जिन्होंने दुनियाभर के आरोप लगाते हुए जनता के बीच ये कसमें खाई थीं कि अब इनके लिए दरवाजा फिर नहीं खुलेगा लेकिन उन्होंने हल्की से दस्तक होते ही अपने दरवाजे खोल दिए और शब्दों की पुष्प वर्षा से उनका स्वागत फिर से कर दिया। राम जी! आपके यहां तो सब बराबर हैं और आप सबके हैं इसलिए हम आपसे भी पूछ रहे हैं कि आप ही बताएं आपके ये भक्तजन आखिर कर क्या रहे हैं।
चादर पर बर्फ की लिखे थे वचन चारे।
मौसम बदल गया सभी वचन पिघल गए।।