गाजियाबाद। भाजपा में एक के बाद एक बड़ा धमाका हो रहा है। निकाय चुनाव में टिकट के बंटवारे से पूर्व ही भाजपाई एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। सांसद अनिल अग्रवाल व वीके सिंह को लेकर एमएलसी दिनेश गोयल के दो पत्र मीडिया में जारी हो चुके हैं। अब भाजपा के पूर्व महानगर संयोजक व अल्पसंख्यक आयोग उत्तर प्रदेश के पूर्व सदस्य सरदार एस पी सिंह ने कोर कमेटी की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए भाजपा प्रत्याशी के रूप में महापौर पद से अपना नाम वापिस ले लिया है। सरदार एस पी सिंह ने बताया कि प्रत्याशियों के चयन हेतु गठित कमेटी में जनप्रतिनिधियों का आपसी वाद विवाद का समाचार सभी समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ है जिसके चलते अब वर्तमान कोर कमेटी की पारदर्शिता पर सन्देह होना स्वाभाविक हो गया है। यहां यह भी दावा किया गया है कि एक व्यक्ति विशेष को महापौर का प्रत्याशी बनाने के प्रस्ताव पर सहमति बनाने की कोशिश की गई, जबकि प्रमुख लोगों को पहले सभी नामों पर उनकी योग्यता, अनुभव व क्षमता अनुसार विचार करना चाहिए। वैसे कोर कमेटी में सांसद, विधायक सहित सभी जिÞम्मेदार लोग हैं और इस प्रकार का विवाद संगठन हित में नहीं है। सभी जनप्रतिनिधि सम्माननीय हैं। महानगर अध्यक्ष सहित सभी जनप्रतिनिधियों को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि वे सदैव कार्यकर्ताओं के मान सम्मान का ध्यान रखते हुए किसी भी स्थिति में कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे व न ही उनका मनोबल गिरने देंगे क्योंकि यही कार्यकर्ता उन्हें जनप्रतिनिधि बनाने के लिए व संगठन को ऊंचाई पर लाने के लिए पार्टी में कार्य करते हुए दिन रात एक कर देते हैं। एसपी सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्री संगठन से भी पूरे प्रकरण को ध्यान में रखते हुए कोर कमेटी की पारदर्शिता सुनिश्चित कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह संगठन हित में उनका व्यक्तिगत निर्णय है, संगठन द्वारा उन्हें समय-समय पर उचित सम्मान मिला है, जिसके लिए वे शीर्ष नेतृत्व के आभारी हैं। संगठन जिसे भी पारदर्शिता के साथ महापौर व वार्ड का प्रत्याशी बनायेगा, उनको मजबूती से चुनाव लड़ाया जायेगा और जनसमर्थन से भारी मतों से जिताया जायेगा।