कमल सेखरी
हमारे देश के चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में होने जा रहे उपचुनावों के मतदान की तारीख एक सप्ताह बढ़ाकर अब 13 नवंबर से 20 नवंबर कर दी है। चुनाव आयोग के मुताबिक मतदान की यह तारीख आगे बढ़ाने के पीछे मुख्य कारण यह है कि इस दौरान छठ पूजा के अलावा कार्तिक गंगा स्नान और गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव जैसे त्योहार बीच में आ रहे हैं इसलिए मतदान की तारीख को बढ़ाकर 20 नवंबर किया गया है। बाकी सब जगह तो ठीक है लेकिन उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की जो तारीख बढ़ी है उसे लेकर आम चिंतनशील नागरिकों में यह चिंता भी घर करने लगी है कि मतदान का बढ़ाया गया यह एक सप्ताह का समय ठीक ठाक से निकल जाए और ये बढ़ाए गए दिन प्रदेश और देश को किसी नए संकट में ना डाल दें। क्योंकि अब तक उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल बनाने के दौरान हमारे राजनेताओं ने जो बयानबाजी की है उससे फिजा पहले से ही खराब नजर आ रही है। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का वो बयान जिसमें कहा गया कि अगर ‘‘बंटोगे तो कटोगे’’ ने ऐसा तूल पकड़ा है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं इसका असर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में भी खासा देखने को मिल रहा है। योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद उनके अपने दल व सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं ने और विपक्षी दलों के नेताओं ने इस नारे में से कई ऐसे और नारे निकाल लिये जिनके मायने वही निकलकर आ रहे हैं जो देश में हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द को न केवल बिगाड़ सकते हैं बल्कि कुछ गंभीर अनहोनी के संकेत भी दे रहे हैं। यूपी से चला यह नारा ‘‘बंटोगे तो कटोगे’’अब भारत की सीमाएं लांघकर अन्य देशों में भी पहुंचना शुरू हो गया है। अमेरिका में चल रहे राष्ट्रपति के चुनाव में अंग्रेजी में दिये जा रहे भाषणों के बीच में भी यह नारा हिन्दी में बोलकर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं कनाडा में तो इस नारे ने अपना हिंसक रूप भी दिखाना शुरू कर दिया है। कनाडा के कुछ शहरों में हिन्दू एकता को प्रदर्शित करने की नजर से कई मंदिरों में वहां की प्रबंध समितियों और पुजारियों ने विशेष आयोजन बुलाकर अपने बयानों में यह नारा बड़ी प्रमुखता से कई बार दोहराया है और सब हिन्दू एक हो जाएं इसे लेकर वहां की सड़कों पर जुलूस भी निकाले गए हैं। कनाडा में हुई ऐसी प्रतिक्रियाओं के जवाब में वहां के वो सिख संगठन जो खालिस्तान बनाए जाने के समर्थक हैं उन्होंने कुछ मंदिरों पर हमले भी किए हैं। कनाडा सरकार वहां हुई इस तरह की कार्रवाइयों पर क्या निर्णय लेती है यह तो समय बताएगा लेकिन यह निश्चित है कि इन सब बातों से उस देश में रह रहे कई लाख भारतीयों के भविष्य पर खतरे की तलवार लटक गई है। दुनिया के 185 मुल्क ऐसे हैं जहां भारत से गए हिन्दू रहते हैं और उतनी ही संख्या में मुस्लिम समुदाय के नागरिक भी रह रहे हैं। अब भारत की सीमाएं लांघकर अमेरिका और कनाडा पहुंचा हिन्दू-मुस्लिम तनाव का यह असर अगर इन दोनों समुदायों के बीच अन्य मुल्कों में भी धीरे-धीरे फैल गया तो निसंदेह पूरे विश्व में भारत की छवि तो खराब होगी ही होगी साथ ही उन मुल्कों में रह रहे हिन्दू-मुस्लिम दोनों प्रवासियों के वहां रहने पर संकट गहरा जाएगा। हो सकता है कि कई देश अपने-अपने देशों में शांति कायम रखने की दृष्टि से वहां रह रहे हिन्दू-मुस्लिम प्रवासियों को अपने देशों से वापिस लौटने के आदेश भी दे दें और उन्हें वहां से वापस उनके स्वदेश लौटा दें। हम अपने इस कॉलम में पहले भी कई बार कह चुके हैं कि देश के आम चुनावों के बाद 2024 के दिसंबर माह तक देश की परिस्थितियां कुछ ऐसी बन सकती हैं जिनमें धार्मिक उन्माद बढ़ने के साथ-साथ जातीय मतभेद भी उभरकर एक बड़ा संकट बनकर देश के सामने खड़ा हो सकता है। जैसा हमने पहले भी कहा था अब फिर दोहरा रहे हैं मिलकर देश बचाओ यारो।