- पंडित जनेश्वर मिश्र के जन्मदिन पर विशेष:-
रामदुलार यादव
पंडित जिनेश्वर मिश्र जातिवाद, पाखंड, रुढ़िवाद, अंधविश्वास और परंपरावाद के घोर विरोधी, सापेक्ष बराबरी के प्रबल पक्षधर थे। वे सच्चे मानवतावादी थे तथा कहा करते थे कि धर्म स्थलों के सामने भिखारियों की कतारें अनुभव कराती हंै कि उनका कल्याण कोई भगवान भी क्यों नहीं कर रहा है। इनके जीवन में नया सवेरा आए, सत्ता में बैठे लोगों को सोचना चाहिए तथा उनके लिए रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था होनी चाहिए तभी हम महात्मा गांधी, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, डॉक्टर अंबेडकर के अंतिम व्यक्ति तक विकास गति पहुंचे तथा सापेक्ष बराबरी के सपनों को साकार कर सकते हैं, समता मूलक समाज बना सकते हैं, समाजवादी नेता राज नारायण ने इन्हें छोटे लोहिया का नाम दिया, वह इसी नाम से जाने, जाने लगे, वह समावेशी, समतामूलक समाज बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे, उनका मानना था कि देश के संसाधनों पर सभी का हक है। अवसर की असमानता को दूर कर समान अवसर मजदूरों, किसानों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलना चाहिए। देश में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, जरूरतमंद लोगों को शिक्षा और चिकित्सा मुफ्त मिलनी चाहिए, वे खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं को सस्ता से सस्ता करने के पक्षधर थे, जिससे आम आदमी सम्मान पूर्वक जीवन बसर कर सके, वे समाजवादी पार्टी के उन नेताओं के तथा असामाजिक तत्वों के विरोधी थे, जिनके कारण समाजवादी विचार कमजोर होता है, उनका जीवन सरलता, सादगी पूर्ण रहा, वह तड़क-भड़क, आडंबर के खिलाफ रहे। जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 में बलिया के शभनथही गांव में हुआ, प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर पूर्ण हुई, उसके बाद आप इलाहाबाद आ गए तथा छात्र राजनीति से देश की राजनीति में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया, आपको इलाहाबाद से बहुत ही गहरा लगाव रहा, जीवन पर्यंत आपकी इलाहाबाद ही राजनीति की कर्मभूमि रहीे छात्रों के सवालों को आपने जोरदार धार दी, उनके भाषण में अद्भुत पैनापन था कि जो एक बार सुन लेता वह उनका प्रशंसक बन जाता था। 1967 में आपने छात्र राजनीति से देश की राजनीति में प्रवेश किया। 1969 में लोकसभा के लिए सोशलिस्ट पार्टी फूलपुर से उम्मीदवार घोषित हुए तथा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को हरा लोकसभा के सदस्य बने। कई बार सांसद रहे। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह को पराजित किया, यह सिद्ध करता है कि वह जन-जन में कितने लोकप्रिय थे। उन्होंने मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में सफलतापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वाहन किया। उनके निवास स्थल लोहिया के लोग का दरवाजा पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं तथा आम जनता के लिए हमेशा खुला रहता था। उनके आवास पर कोई सुरक्षाकर्मी किसी को रोकता नहीं था। उनसे बेरोकटोक कोई भी अपनी समस्या के लिए मिल सकता था। वे कई बार राज्यसभा के सदस्य समाजवादी पार्टी से निर्वाचित हुए। वह मुलायम सिंह यादव के बेहद करीब रहे।1992 में समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका उन्होंने निभाई। समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे, कई बार लोकसभा के सदस्य तथा महत्वपूर्ण मंत्रालयों में कार्यरत रहने के बाद भी न निजी मकान था न स्वयं की गाड़ी, निजी जीवन खुली किताब रहा। वह मिठाई के बहुत ही शौकीन थे, जो भी उनके निवास पर भेंट स्वरूप मिष्ठान देता वह उसे वहीं सभी को खिला देते थे। कार्यकर्ताओं से बेहद प्यार करना उनका उदात्त गुण था। इलाहाबाद में पंडित जनेश्वर मिश्र ने जीवन के अंतिम क्षण तक जनता के सवालों के लिए रैली का नेतृत्व करते हुए सरकार की नाकामियों, महंगाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध जोरदार भाषण किया, वहां उनकी तबीयत बिगड़ गई, 22 जनवरी 2010 में उन्होंने अंतिम सांस ली।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में पंडित जनेश्वर मिश्र के सम्मान में एशिया का सबसे बड़ा पार्क लखनऊ में बनवाया, जो समाजवादी समाज बनाने वाले हर भारतवासी के लिए प्रेरणा दायक है। वे अखिलेश यादव को बेहद प्यार करते थे। हम सभी प्रखर समाजवादी चिंतक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी, प्रखर वक्ता बाबा जनेश्वर मिश्र को उनकी जयंती पर नमन करते हैं, वंदन करते हैें और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
लेखक: रामदुलार यादव शिक्षाविद, समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य कार्यकारिणी सदस्य रहे हैं।