पाकिस्तान को मार तो पड़नी ही पड़नी है !

- भारत मारे या कोई और पाक का भविष्य खतरे में
- केन्द्र सरकार तुरंत बुलाए संसद का विशेष सत्र
- जंग में जिसका दाव लगे वही पहलवान
कमल सेखरी
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पिछले दो दिनों से रह रहकर यह आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार आपरेशन सिंदूर को लेकर देश को गुमराह कर रही है। श्री खड़गे अपने इन आरोपों के साथ आपरेशन सिंदूर और इसके बीच में आनन फानन में लिये गये सीज फायर को लेकर भी देश को वास्तविकता बताने के लिए केन्द्र सरकार पर निरंतर जोर डाल रहे हैं। इसके अलावा संसद में विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी भी पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध और तीसरे पक्ष यानी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लिये गये युद्ध विराम के फैसले को लेकर देश को हकीकत बताने के लिए जल्द ही संसद का एक विशेष सत्र तुरंत बुलवाने पर निरंतर जोर दे रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वर्ष 1962 में चीन के साथ हुए भारत के युद्ध के दौरान दो दिन बाद ही विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु से युद्ध के दौरान ही संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया और उस समय जनसंघ के मात्र दो सांसद होने पर भी प्रधानमंत्री नेहरु ने युद्ध के दौरान ही विशेष सत्र बुलाया और उसमें विपक्षी नेता श्री वाजपेयी ने युद्ध में भारत की कई कमियां गिनाकर केन्द्र सरकार को रह रहकर कोसा और कई गंभीर आरोप भी लगाए। इसी तरह पाकिस्तान से हुए पिछले कारगिल युद्ध 1999 में 600 भारतीय सैनिकों के हताहत होने पर भी उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन सदस्यों की कमेटी बनाकर संसद का विशेष सत्र बुलाया जिसमें पक्ष विपक्ष में खूब बहस हुई और युद्ध की स्पष्टता देश के सामने खुलकर आई। आज हम विपक्ष के अनेक अनुरोधों के बाद भी संसद का विशेष सत्र बुलाने को तैयार नहीं हैं। इन परिस्थितियों के बीच देश को पीड़ा उस समय होती है जब हमें आपरेशन सिंदूर के बारे में कोई भी जानकारी भारतीय मीडिया से नहीं विदेशी मीडिया से मिलती है। हमारे सीडीएस अनिल चौहान ने सिंगापुर में एक प्रेसवार्ता के दौरान बीते दिन यह जानकारी दी कि आपरेशन सिंदूर में चली 4 दिन की जंग में हमारे कुछ विमान गिरे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह जरूरी नहीं है जानना कि कितने विमान गिरे बल्कि यह जानना जरूरी है कि वो क्यों गिरे और उनके गिरने के कारणों को लेकर हमने अब तक क्या सुधार किया है। इस विषय पर भाजपा के वरिष्ठ एवं पुराने नेता सुब्रामण्यम स्वामी ने भी पत्रकारों से हुई बातचीत में यह जानकारी दी है कि हमारे छह विमान गिरे हैं जिनमें दो राफेल भी हैं। इस संबंध में विदेशी मीडिया जो बोल रहा है उसके मुताबिक पाकिस्तान ने चीन के लड़ाकू उपकरण इस्तेमाल करके ही भारतीय विमानों को नुकसान पहुंचाया है। इस संबंध में हमें एक सीख तो लेनी ही पड़ेगी कि हम कभी भी अपनी मजबूती को अपनी नजर से आंकते हुए दुश्मन को कमजोर ना मानें। बीते कल यूक्रेन ने जो हाल रूस का किया है वो दुनिया के सामने एक मिसाल बनकर खड़ा हो गया है कि जंग में कभी भी कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। जिसका दांव लग जाए वो बड़े से बड़े पहलवान को भी नीचे गिरा देता है। यूक्रेन ने कल एक ही झटके में रशिया के लगभग डेढ़ दर्जन लड़ाकू हवाई अड्डों को एक झटके में बड़ा नुकसान पहुंचा दिया और वहां खड़े 50 से अधिक लड़ाकू विमान एक ही बार में नेस्तानाबूद कर दिये। रूस जैसा शक्तिशाली देश जो बीते दिन छाती तानकर अमेरिका को तीसरे विश्वयुद्ध में जाने की धमकी दे रहा था वो तीन साल से लगातार छोटे से मुल्क यूक्रेन से लड़ रहा है और अभी तक उस पर जीत नहीं पाया है। विश्व में ऐसे कई मिसालें हैं अमेरिका भी वियतनाम के साथ वर्षों परिणाम शून्य जंग लड़ता रहा। इन दिनों इजराइल भी हमास और फिलिस्तीन के साथ पिछले लगभग तीन वर्षों से लगतार लड़ रहा है और अभी तक जीत के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा हमें भी यह समझ लेना चाहिए कि आज की तारीख में जब कई मुल्क अपने शस्त्र बना बनाकर अमन का सौदा करके छोटे मुल्कों को बेच रहे हैं तो ऐसे में किसी भी जंग में किसी भी देश को खुद को बड़ा और दूसरे को छोटा नहीं मान लेना चाहिए। इस समय पाकिस्तान की पीठ चीन पुरजोरता से थपथपा रहा है और हर सूरत में अपनी फौजें लेकर भी पाकिस्तान के साथ खड़ा रहने के इरादे रख रहा है तो हमें मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान की कांपती टांगों के कंधे पर चीन ने अपना मजबूत हाथ रखा हुआ है। इन सब बातों के बीच इस सच्चाई को भी इनकार नहीं किया जा सकता कि गरीब आदमी की मार हर तरफ से होती। अब पाकिस्तान चाहे भारत से पिटे या आने वाले कुछ सालों में चीन से पिटे। मार तो पाकिस्तान की होनी ही होनी है।