आरएसएस और साधू-संतों के बीच छिड़ी खुली जंग!

कमल सेखरी
आरएसएस और साधु संत समाज के विभिन्न संगठनों के बीच खुली जंग छिड़ गई है। इस जंग में प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में बनाए गए साधुओं के कई अखाड़ों से जुड़े सनातन धर्म को मानने वाले कई साधुओं ने भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोल दिया है। इस जंग में ना तो भाषा के संतुलन का दोनों पक्ष कोई पालन कर रहे हैं और ना ही आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कोई परहेज किया जा रहा है। बीते दिन एक मीडिया टीवी चैनल पर आरएसएस और साधु-संत समाज के कुछ प्रवक्ताओं को बुलाकर आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के उस चर्चित बयान पर बहस कराई गई जिसमें मोहन भागवत ने दो दिन पहले ही यह कहा था कि अब हमें मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढने का काम बंद कर देना चाहिए। कुछ लोग हिन्दू धर्म का बड़ा नेता बनने के लिए हर रोज ऐसा कुछ कर रहे हैं जिससे देश का सौहार्द खराब होता है हमें अब ऐसा करने से रुक जाना चाहिए। मोहन भागवत का यह बयान स्पष्ट तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर संकेत कर रहा था यह कहकर कि उन्हें हिन्दुओं का बड़ा नेता बनने के लिए अब ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो वो कर रहे हैं। इस संबंध में उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का आरएसएस से कोई सीधा संबंध नहीं है वो प्रारंभ से ही हिन्दू महासभा के साथ जुड़े रहे हैं और शुरू से ही हिन्दुत्व की एक प्रबल सोच उनकी विचारधारा का हिस्सा बनी रही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सहयोगी अमित शाह शुरू से ही आरएसएस विचारधारा के अनुयायी रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो पूर्व में आरएसएस के प्रचारक भी बने रहे।
भारत का साधू-संत समाज आरएसएस से अलग हिन्दू महासभा से जुड़ा रहा है और साधू संतों की विभिन्न इकाइयों में अपने अलग-अलग संगठन बनाकर देश में हिन्दुत्व विचारधारा का प्रसार करने का कार्य किया है। प्रयागराज में आरंभ होने जा रहे महाकुंभ में एक दर्जन से अधिक अखाड़े जो वहां स्थापित किए जा रहे हैं उनके साथ जुड़े साधुओं की संख्या भी लाखों में है। इनमें से कई अखाड़ों के साधुओं ने मुगलों और अंग्रेजों के साथ हुए विभिन्न युद्धों में ना केवल भागेदारी ही की बल्कि लाखों की संख्या में शहादत भी दी। अब ये सभी साधू-संत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान से काफी नाराज हैं कि भाजपा और उसके नेताओं को मस्जिदों में मंदिरों के अवशेष ढूंढने का कार्य बंद कर देना चाहिए। देश का ये साधू-संत समाज और हिन्दुत्व की पहचान में चल रहे साधुओं के कई अखाड़े आज भी मोहन भागवत की इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने बड़े खुले शब्दों में कह दिया है कि वो आरएसएस को नहीं मानते और देश की मस्जिदों में जहां-जहां भी मंदिरों के अवशेष मिलने की संभावना होगी उन्हें पुरजोरता से ना केवल ढूंढा जाएगा बल्कि वहां मंदिर बनाने का कार्य भी किया जाएगा। ये साधू-संत समाज और देश के लगभग सभी अखाड़े आज की तारीख में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हैं और चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ इस दिशा में जो भी काम कर रहे हैं उन्हें करते रहना चाहिए। सनातन धर्म और हिन्दुत्व का देश में एक वातावरण बनाए रखने की सोच को आगे बढ़ाने में ये साधू-संत समाज भाजपा और आरएसएस के भी विरुद्ध जाने को तैयार है। अगर ये अपनी धर्म निरपेक्ष छवि बनाने के चक्कर में हिन्दुत्व की नीति और राह से अलग चलते नजर आते हैं तो साधू संत समाज खुलकर उनका विरोध करने का रास्ता भी अपना सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शक्ति इन्हीं साधू-संत समाज और साधुओं के अखाड़ों में समाहित होकर जुड़ी है जो भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व और आरएसएस के लिए एक चिंता और चुनौती का विषय बन गई है।