गाजियाबाद। स्व.हरप्रसाद शास्त्री चैरिटेबल ट्रस्क की ओर से महान हिंदी सेवी स्वर्गीय हरप्रसाद शास्त्री जी की जन्म शताब्दी (99वें जन्मदिन) के अवसर पर हिंदी भवन में कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन के लिए ट्रस्ट के अध्यक्ष व शास्त्री के पुत्र जितेंद्र कुमार विशेष रूप से अमेरिका से गाजियाबाद पधारे। हर साल की तरह इस बार भी हरप्रसाद शास्त्री की स्मृति में सात होनहार छात्रों का अभिनंदन किया गया और सात जरूरतमंद छात्रों को सहायता राशि दी गई। ये विद्यार्थी कन्या वेदिक इंटर कॉलेज और श्री सनातन धर्म इंटर कालेज के हैं। स्वर्गीय हरप्रसाद शास्त्री श्री सनातन धर्म इंटर कॉलेज के अध्यापक रहे थे। ट्रस्ट की तरफ से जितेंद्र शर्मा ने पीएम कोविड राहत कोष में भेजने के लिए एक लाख रुपए की धनराशि का चेक शहर विधायक अतुल गर्ग को दिया। जितेंद्र शर्मा के अनुसार ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि अगले साल से इंजीनियरिंग के एक छात्र को भी सहायता राशि दी जाएगी। स्वर्गीय हरप्रसाद शास्त्री ने ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर गाजियाबाद के रामलीला मैदान में विशाल कवि सम्मेलन के आयोजन की नींव रखी थी। अब उनका पूरा परिवार अमेरिका में रहता है। सम्मान समारोह में कवि अरुण जैमिनी, सत्यपाल सत्यम व वंदना कुंअर रायजादा और पत्रकार अशोक कौशिक को सम्मानित किया गया। ओज के वयोवृद्ध कवि कृष्ण मित्र भी मंचासीन रहे। 91 वर्षीय कृष्ण मित्र का उनके जन्मदिन पर अभिनंदन किया गया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में डा. हरिओम पंवार, अरुण जैमिनी, डा. विष्णु सक्सेना, डा. प्रवीण शुक्ल, डा. कीर्ति काले, शंभू शिखर, सत्यपाल सत्यम, राज कौशिक, मनोज कुमार मनोज एवं वंदना कुंअर रायजादा शामिल रहे। ट्रस्ट के महासचिव ललित जायसवाल और कोषाध्यक्ष अरुण कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। कवि सम्मेलन रात 12 बजे तक चला। वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि डॉ हरिओम पंवार की पंक्तियों पर श्रोताओ ने खड़े होकर तालियां बजाई। नई सदी का भारत है ये बासठ वाला दौर नहीं, हम भी दुनिया के दादा हैं, दिल्ली है लाहौर नहीं। हमने अपने संविधान से तीन सौ सत्तर मिटा दिया, नेहरू जी ने डाला था जो सांप गले से हटा दिया। उरी का उत्तर घर में घुसकर चोट से देना सीख लिए पुलवामा का उत्तर बाला कोट से देना सीख लिया। रावलपिंडी के दिल में जब खोट दिखाई देता है, उनको सपनों में भी बालाकोट दिखाई देता है। शायर राज कौशिक को खूब दाद मिली कि नमी आंखों में होठों पर सदा मुस्कान होती है, जहां में इश्क वालों की यही पहचान होती है, किसी भी पेड़ से मैंने कोई पत्ता नहीं तोड़ा, कभी मां ने कहा था ये कि इनमें जान होती है। डा.विष्णु सक्सेना को लोगों ने बार बार फरमाइश कर सुना-फूल पत्थर पे खिलाओ तो कोई बात बने, आँसुओं को भी हँसाओ तो कोई बात बने, आग नफरत की लगाओगे तो जल जाओगे, प्यार के रंग उड़ाओ तो कोई बात बने। डॉ. प्रवीण शुक्ल ने लोगों को खूब गुदगुदाया- यह वो देश है जहाँ, पति-पत्नी रोजाना लड़ते हैं, झगड़ते हैं, रूठते हैं, मनाते हैं लेकिन, सात फेरे लेने के बाद सात जन्म तक साथ निभाने की कसम उठाते हैं। हास्य कवि अरुण जैमिनी ने श्रीताओं को खूब हँसाया। कोरोना काल के बाद कवि-सम्मेलन का पहला आमंत्रण मिला, तो रोम-रोम खुशी से खिला, दिल हो रहा था बेकाबू, महीनों बाद एक चुटकी कवि सम्मेलन मिलने की खुशी तुम क्या जानो पाठक बाबू। वंदना कुँअर रायजादा ने अपने स्व पिता डा. कुंअर बेचैन को कुछ यूं याद किया। आपके गीतों से हमको जिन्दगी मिलती नई आपकी गजलों से आशा की कली खिलती नई। आपके दोहे व मुक्तक कर रहे संचार नव मिल रही सॉंसों को भी तो अनगिनत गिनती नई। सत्यपाल सत्यम के गीत भी बहुत पसन्द किए गए-बादलों को भेजता है जा तू नदियों पर बरस। पर समंदर दूसरों को अपना खारापन नहीं देता। कवि जो अच्छा लिखता है, वही श्रोता को देता है!किसी को चाहके भी अपना आवारापन नहीं देता !! हास्य कवि शम्भू शिखर का ये अंदाज लोगों को बहुत अच्छा लगा-नफरत में भी मैं प्यार का कलरव हूँ मनाओ, पोशाक पुरानी लिए अभिनव हूँ मनाओ, रोने के लिये और भी महफिल है जहॉं में शम्भू शिखर मैं हास्य का उत्सव हूँ मनाओ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की और आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।