- रेडक्रॉस सोसायटी के अलावा एनजीओ भी आए आगे
- जनपद में 1200 बच्चों का चल रहा टीबी का उपचार
गाजियाबाद। जिला क्षय रोग विभाग ने इस वर्ष टीबी से ग्रसित 1200 बच्चों का उपचार शुरू करने के साथ ही उनकी देखरेख की व्यवस्था भी कर दी है। इन बच्चों को उपचार के साथ ही बेहतर पोषण के लिए जहां सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं, वहीं बच्चों को पुष्टाहार के अलावा भावनात्मक और सामाजिक सहयोग के लिए गोद लिया जाएगा। इसके लिए जहां सभी जिला स्तरीय अधिकारियों ने दो-दो बच्चों को गोद लेने के लिए सहमति प्रदान की है वहीं रेडक्रॉस सोसायटी के अलावा जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के साथ ही कई एनजीओ भी आगे आए हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. आरके यादव ने बताया कि जिलाधिकारी के आह्वान पर सभी जिला स्तरीय अधिकारियों ने टीबी ग्रसित दो-दो बच्चों को गोद लेने की इच्छा जाहिर की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला क्षय रोग अधिकारी भी दो-दो बच्चों को गोद लेंगे। इसके अलावा रेडक्रॉस सोसायटी, जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, रोटरी क्लब, व्यापार संघ के अजय गुप्ता, सतमोला के एमडी अनिल मित्तल, गैर सरकारी संगठन आईएमडीटी लोनी और अमन डिस्पेंसरी लोनी की ओर से भी ऐसे बच्चों की देखभाल और भावनात्मक व सामाजिक सहयोग का जिम्मा उठाया गया है। डीटीओ डा. यादव ने बताया सभी 1200 बच्चों की सूची तैयार हो गई है। उन्होंने बताया एडीएम (एलए) श्याम अवध चौहान की ओर से दूरदराज के क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को गोद लेने की इच्छा जाहिर की गई थी। उन्हें भोजपुर ब्लॉक के जहांगीरपुर और मछरी गांव के दो बच्चे गोद दिए गए हैं। डीटीओ ने बताया कि कम उम्र में टीबी की चपेट में आने वाले अधिकतर बच्चों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं होती। ऐसे में सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह दिए जाने वाले पांच सौ रुपये के अलावा उन्हें पुष्टाहार और भावनात्मक सहयोग दिया जाना जरूरी हो जाता है ताकि बच्चे इस बीमारी से लड़ने के लिए भावनात्मक रूप से भी मजबूत हो सकें। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के आह्वान पर शुरू हुए टीबी से ग्रसित बच्चों के गोद लेने की परंपरा के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
मार्च में गोद लिए गए 132 बच्चे हुए टीबी मुक्त
इसी वर्ष मार्च माह के दौरान क्षय रोग विभाग के प्रयास से टीबी पीड़ित 132 बच्चों को गोद लिया गया था। वह सभी बच्चे अब टीबी को मात दे चुके हैं। डीटीओ ने बताया कि सामान्य तौर पर लगातार छह माह टीबी का उपचार लेने पर यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि टीबी किसी को भी हो सकती है। लक्षण आने पर तत्काल टीबी केंद्र पर जाकर जांच कराएं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी की जांच और उपचार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। टीबी के उपचार के दौरान सरकार हर मरीज को पांच सौ रुपये महीने उसके बैंक खाते में भेजती है ताकि मरीज अपने बेहतर खानपान की व्यवस्था कर सके।
टीबी के लक्षण
दो सप्ताह से अधिक खांसी रहना
रात में सोते समय पसीना आना
शारीरिक मेहनत करे बिना ही थकान
लगातार बुखार बने रहना
अचानक वजन कम हो जाना