- श्री प्रेमचंद लोहिया ट्रस्ट ने 10 टीबी ग्रसित बच्चों को लिया है गोद
- क्षय रोग विभाग की ओर से किया गया टीबी के प्रति संवेदीकरण
गाजियाबाद। क्षय रोग विभाग के प्रयासों से टीबी ग्रसित बच्चों की मदद को कई संस्थाएं आगे आई हैं। दरअसल राज्यपाल आंनदीबेन पटेल की प्रेरणा से विभाग ने स्थानीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं और संगठनों से संपर्क स्थापित कर नाबालिग टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेने का अभियान शुरू किया हुआ है। हापुड़ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रेखा शर्मा और जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश कुमार सिंह ने भी दो-दो बच्चों को गोद लिया है। इसी क्रम में दिल्ली रोड स्थित अच्छेजा गांव में श्री प्रेमचंद लोहिया ट्रस्ट की ओर से भी ऐसे 10 बच्चों को गोद लिया गया है। ट्रस्ट की ओर से चलाए जा रहे स्वास्थ्य केंद्र पर डीटीओ डा. राजेश सिंह और पीपीएम को-आर्डिनेटर सुशील चौधरी की मौजूदगी में इन बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराया गया। इस मौके पर ट्रस्ट की ओर से मेडिकल आफिसर डा. प्रहलाद सहाय अग्रवाल, डा. दिनेश कुमार अग्रवाल, फार्मासिस्ट विनोद कुमार और क्षय रोग विभाग से लैब टैक्नीशियन यासीन अली भी मौजूद रहे।
इस मौके पर डीटीओ ने श्री प्रेमचंद लोहिया स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद मरीजों और उनके तीमारदारों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया। डीटीओ ने बताया- समय से ध्यान दिया जाए तो टीबी अब कोई गंभीर बीमारी नहीं रह गई है। नियमित उपचार के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। समय से उपचार शुरू होने एक बड़ा फायदा यह होता है कि मरीज अपने परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित नहीं करता, देश से टीबी उन्मूलन के लिए यह जरूरी है कि टीबी की पहचान और उपचार जल्दी से जल्दी शुरू हो सके। प्रयास करें कि टीबी पीड़ित को खुले और हवादार कमरे में रखें। इसके साथ ही वह जब अन्य लोगों के संपर्क में आए तो मॉस्क का प्रयोग करे।
डीटीओ ने बताया दो सप्ताह से अधिक खांसी खांसी रहने पर अपनी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच अवश्य कराएं। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर विभाग की ओर से जांच और उपचार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। उन्होंने बताया यदि किसी को बलगम के साथ खून आए, बुखार लगातार बना रहे, रात में सोते समय पसीना आता हो या फिर अचानक वजन गिरने लगे तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लोगों को टीबी की जांच करानी चाहिए।