शहरस्वास्थ्य

स्टीकर के जरिए घर-घर पहुंचाएंगे पोषण संदेश

  • गर्भवती, किशोरी, नवजात को पोषण के लिए किया जाएगा जागरूक
  • खानपान, साफ-सफाई और स्तनपान के लिए किया जाएगा प्रेरित
    हापुड़।
    राष्ट्रीय पोषण माह के अंतिम सप्ताह में समेकित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग ने छह वर्ष तक के सैम (सीवियर एक्यूट माल न्यूट्रीशियन) और मैम (मॉडेरट एक्यूट माल न्यूट्रीशियन) बच्चों का चिन्हांकन किया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया सैम-मैम बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली (धात्री) माताओं और स्कूल न जाने वाली किशोरियों के घर स्टीकर के जरिए पोषण संदेश भेजने की तैयारी की जा रही है। अक्टूबर माह के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पोषण संदेश युक्त स्टीकर चस्पा करेंगी। इससे सामुदायिक स्तर पर पोषण के प्रति संवेदीकरण बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया राष्ट्रीय पोषण माह के अंतिम सप्ताह में सैम-मैम बच्चों के चिन्हांकन का उद्देश्य बेहतर पोषण और चिकित्सकीय प्रबंधन के जरिए इन बच्चों को सुपोषित करना है। जनपद में सैम श्रेणी में कुल 1316 और मैम श्रेणी में कुल 3009 बच्चे चिन्हित किए गए हैं। 83670 बच्चों का वजन, उनकी आयु के मुताबिक सही पाया गया है, यानि यह बच्चे सुपोषित हैं। सैम-मैम श्रेणी के बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक ओर जहां पोषाहार वितरण के साथ चिकित्सकीय प्रबंधन उपलब्ध कराया जाएगा, वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सैम-मैम बच्चों के साथ ही गर्भवती, धात्री माताओं और स्कूल न जाने वाली 11 से 13 वर्ष तक की किशोरियों के घर के बाहर स्टीकर लगाएंगी। स्टीकर में संबंधित के लिए पोषण संदेश लिखे होंगे। स्टीकर लगाए जाने से उस पर लिखा संदेश पूरे परिवार को याद रहेगा और पूरा परिवार पोषण का बेहतर ध्यान रख सकेगा। जनपद में 22359 गर्भवती और धात्री महिलाएं हैं, जिन्हें बेहतर पोषण की आवश्यकता है।
    बता दें कि बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जिम्मेदारी आमतौर पर मां पर छोड़ दी जाती है लेकिन यह ठीक नहीं है। बेहतर हो कि पूरा प?रिवार इस बात का ध्यान रखे और मां की मदद करे। गर्भवती के पोषण का ख्याल भी एक बच्चे की तरह ही रखा जाए, क्योंकि गर्भवती को पोषण न मिलने पर उसका प्रभाव सीधे गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसलिए जीवन के पहले 1000 गोल्डन दिनों में गर्भकाल काल के 230 दिन भी जोड़े गए हैं। जिन घरों में नवजात हैं, उन घरों में स्तनपान से संबंधित संदेश वाले स्टीकर लगे होंगे। गर्भवती को यह बताया जाएगा कि प्रसव के पहले घंटे में स्तनपान कराना क्यों जरूरी है, मां का पहला गाढ़ा पीला दूध उसके लिए टीके का काम करता है। छह माह तक केवल स्तनपान और उसके बाद कम से कम दो वर्ष तक स्तनपान के साथ ऊपरी आहार देने की सलाह भी स्टीकर के जरिए दी जाएगी।

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