- दरिंदे शक्ल में आदमी की नजर आ रहे हैं
- वन क्षेत्रों में घुसे मानव जीव
- वन जीवों ने किया शहरों का रुख
कमल सेखरी
‘‘ना मालूम कितने जंगल बसे हैं इन बस्तियों में
दरिंदे शक्ल में इन्सां की नजर आते हैं ’’
जंगलराज आ गया-जंगल राज आ गया चारों तरफ ये बातें आज सुनने को मिल रही हैं। राजनेता और राजनीतिक दल अपने बयानों में और अपने सार्वजनिक भाषणों में यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हमारे विरोधियों के शासन क्षेत्र में तो जंगलराज आ गया है। हैवानियत की घटनाएं भी कुछ ऐसी हो रही हैं जिनको सुनने और देखने से लगता है कि शहरों में दरिंदगी चारों ओर हो रही है। आदमी की शक्ल में दरिंदे मासूम अबलाओं को मौका मिलते ही अपना शिकार बना रहे हैं, बलपूर्वक उनके साथ दुष्कर्म कर रहे हैं और हैवानियत की सभी सीमाएं लांघकर उन अबलाओं के शरीर को बुरी तरह से नोंचकर उनकी अस्मितें लूट रहे हैं। देश में हर रोज इस तरह की कई घटनाएं विभिÖा मीडिया माध्यमों से देखने और सुनने को मिल रही हैं। सरेआम हत्याएं हो रही हैं, भाई, भाई के खून का प्यासा हो रहा है। संपत्ति के लालच में पुत्र, पिता की हत्या कर रहा है। यह भी कई बार सुनने को मिल रहा है कि अग्नि के सात फेरे लेकर सात जन्मों तक पति धर्म निभाने वाली कुछ पत्नियां अपने प्रेमियों के साथ मिलकर अपने पतियों की हत्या भी करा रही हैं। इस तरह के अपराधों का दोषी कौन है? व्यवस्था से जुड़े राजनेता एक दूसरे के सिर पर यह कहकर ठीकरे फोड़ रहे हैं कि उनके शासन में जंगलराज आ गया है। बरहाल जंगलराज आ गया-जंगलराज आ गया यह शोर फैलते-फैलते प्राकृतिक वनों के उन जानवरों तक भी पहुंच गया जिनके जंगलों के पेड़ काटकर लकड़ियां बेची जा रही हैं, जंगलों में आग लगाकर भूमाफिया जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं तो मानव जीव की इन हरकतों से परेशान वनों के जीव शहर की इन आवाजों से प्रभावित होकर शहरों की ओर आ रहे हैं जिन आवाजों में कहा जा रहा है जंगलराज आ गया-जंगलराज आ गया। जंगल के जानवरों ने अब बिना पेड़ के लंबी सड़कों वाले र्इंट गारे के शहरी जंगलों की ओर कूच करना शुरू कर दिया है। पिछले कई महीनों से लगातार देश के कई हिस्सों से ये खबरें आ रही हैं कि शहरों में भेड़िये घुस आए हैं। शेर, तेंदुए और सियारों ने भी शहरों में घुसकर उन मानव जीवों पर हमले करने शुरू कर दिए हैं जिन्होंने वनों के पेड़ काटकर उनके आश्रय छीन लिये हैं और उन्हें बेघर कर दिया है। पिछले तीन सप्ताह से बेहराइच शहर के गांवों में भेड़ियों का आतंक मचा हुआ है। यहां 12 से अधिक बच्चों को भेड़ियों ने मार डाला है। पिछले एक पखवाड़े से लखीमपुर खीरी के जंगलों से बाघ निकलकर शहरों की ओर आ रहे हैं जिनके आतंक से पूरा क्षेत्र भयभीत है। ये बाघ कुछ लोगों को अपने मुंह का निवाला भी बना चुके हैं। इसी तरह देहरादून के आसपास के जंगलों में आग लगाकर पेड़ काटने वाले लकड़ी माफियाओं के आतंक से परेशान जंगली जानवर शहरों की घनी आबादी की ओर कूच कर रहे हैं। अभी तीन माह पहले ही देहरादून की घनी आबादी क्षेत्र आईटी पार्क में 7 तेंदुए एक साथ गठजोड़ बनाकर घुस आए, उन्होंने एक बच्चे को मार डाला और शहरी लोगों ने एकत्र होकर एक तेंदुए को मार गिराया। पिछले दो-तीन वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली के निकट उत्तर प्रदेश के प्रवेश द्वार गाजियाबाद में भी कई जगह दिन के समय में भी तेंदुए देखे गए। इनमें से एक तेंदुआ तो भीड़भाड़ के बीच जिला अदालत में घुस गया। शायद वो यहां बैठी न्याय की मूर्तियों से अपनी प्रजाति पर हो रहे मानव जीव के हमलों की गुहार लगाने आया होगा। इन दिनों यह भी देखने में आ रहा है कि अधिकांश शहरों की गलियों में कुत्ते और बंदरों का भी काफी आतंक है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में ही गाजियाबाद महानगर में पांच हजार से अधिक लोगों को कुत्ते-बंदरों ने काटा है। राजनेता इस मामले में भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे, दिल्ली में पकड़े जा रहे बंदरों को रात के समय गाजियाबाद की सीमाओं में छोड़ा जा रहा है, ऐसे ही गाजियाबाद से पकड़े गए बंदरों को सीमा टपाकर दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा है। हालांकि यह मामला देश की संसद में भी उठ चुका है लेकिन कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा है।
अगर गंभीर चिंतन कर सोचा जाये यह ऐसा क्यों हो रहा है तो जवाब यही निकलकर आएगा कि मानव जीव वन क्षेत्रों में पेड़ काटकर और जमीनों पर अवैध कब्जे करके जो अतिक्रमण करता जा रहा है उससे इन वन जीवों के आश्रय छीने जा रहे हैं और वो वन जीव मजबूरी और लाचारी में अपने-अपने क्षेत्रों के निकट के शहरों में कूच करने लगे हैं। मानव जीव जो अपनी हैवानियत से शहरी क्षेत्रों में जंगलराज फैला चुका है अब वो वन क्षेत्रों में भी मानव प्रजाति का जंगलराज फैलाना चाह रहा है जिसके चलते मजबूर और लाचार वन जीव शहरों की ओर निकलकर आ रहे हैं।