- आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कर रहीं प्रेरित
- साढ़े आठ हजार परिवारों के 32 हजार से अधिक गरीबों को मिलेगा लाभ
- योजना में जनपद के 1.48 लाख परिवार पहले से हैं शामिल
गाजियाबाद। अब आयुष्मान भारत योजना का लाभ अन्त्योदय कार्ड धारकों को भी मिलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर अन्त्योदय कार्ड धारकों को आयुष्मान कार्ड (गोल्डन कार्ड) बनवाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। अन्त्योदय कार्ड धारकों को अपना कार्ड लेकर नजदीकी जन सुविधा केंद्र जाना है, जहां उनका आयुष्मान कार्ड निशुल्क बनाया जाएगा। अन्त्योदय कार्ड धारक हर माह राशन डीलर से रियायती राशन प्राप्त करते हैं, इसलिए राशन डीलरों को भी अन्त्योदय कार्ड धारकों को अपना आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. सुनील त्यागी ने बताया कि जनपद में 8499 अन्त्योदय कार्ड धारक परिवार हैं। इन परिवारों के 32597 लोगों को आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर दिए जाने के शासनादेश प्राप्त होने के बाद सभी के आयुष्मान कार्ड बनवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा आयुष्मान भारत योजना के तहत हर परिवार को हर वर्ष पांच लाख तक का निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी योजना से आबद्ध निजी और सरकारी अस्पतालों में उपचार प्राप्त कर सकते हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी का आयुष्मान कार्ड (गोल्डन कार्ड) होना जरूरी है।
पहले से आयुष्मान भारत योजना में शामिल लाभार्थी और अन्त्योदय कार्ड धारक योजना से आबद्ध अस्पतालों के अलावा किसी भी जन सुविधा केंद्र में जाकर आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं। यह कार्ड पूरी तरह निशुल्क बनाया जाता है। यदि कोई कार्ड बनाने के नाम पर पैसे की मांग करे तो उसकी शिकायत सीएमओ कार्यालय में की जा सकती है। नोडल अधिकारी ने बताया जनपद में सबसे ज्यादा अन्त्योदय कार्ड धारक परिवार भोजपुर ब्लॉक में 2032 हैं। मुरादनगर ब्लॉक में 1642, डासना में 1695, मोदीनगर में 202, लोनी देहात में 658 और शहरी क्षेत्र में 106, खोड़ा-मकनपुर में 163 और गाजियाबाद शहर में 1700 अन्त्योदय कार्ड धारक परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलेगा।
क्या है अन्त्योदय कार्ड ?
यह कार्ड भारत सरकार द्वारा बहुत ही गरीब परिवारों को दिया जाता है। इस कार्ड धारक परिवार को 35 किलो अनाज प्रतिमाह दिया जाता है। इन परिवारों को सरकार दो रुपए प्रति किलो गेहूं और तीन रुपए प्रति किलो चावल उपलब्ध कराती है।