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गोशाला चलाने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था बनाने की आवश्यकता: योगी

  • वृहद गो आश्रय स्थलों की स्थापना को लेकर सीएम योगी ने प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया
  • एक सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल बनाया जाए
    लखनऊ।
    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोशाला चलाने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए एक सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल बनाया जाए। गोशालाओं का निर्माण पीपीपी मोड पर किया जाए। साथ ही, उन्हें नेचुरल फार्मिग, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए। इससे गोशालाएं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होंगी और गायों के रखरखाव एवं पालन पर आने वाला खर्च खुद उठा सकेंगी। मुख्यमंत्री यहां अपने सरकारी आवास पर वृहद गो आश्रय स्थलों की स्थापना के सम्बन्ध में एक प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इन वृहद गो आश्रय स्थलों में दो से तीन हजार गोवंश धारण की क्षमता होगी। इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वृहद गो आश्रय स्थलों के संचालन के लिए इच्छुक एनजीओ के साथ एमओयू किया जाए और उन्हें आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध करायी जाए।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पशु संवर्धन, संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयासरत है। गोवंश सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि पशुधन विभाग व्यवहारिक रूप से योजना बनाए। विभागीय अधिकारी अनिर्णय की स्थिति से बचें और रुचि व प्राथमिकता के आधार पर गो सेवा के लिए कार्य योजना तैयार की जाए। हर स्तर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए।
    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गो आश्रय स्थलों में पूरे साल को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाई जाए। अप्रैल-मई में ही पूरे वर्ष के लिए हरा चारा, भूसा और चोकर की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि जहां भी गो आश्रय स्थल संचालित हैं, उनकी अनुमन्य धनराशि मुक्त की जाए। साथ ही, निराश्रित गोवंश को पालने वाले पशुपालकों की अनुमन्य धनराशि भी मुक्त की जाए। उन्होंने कहा कि गो आश्रय स्थलों पर गायों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ व खुले वातावरण की व्यवस्था की जाए।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही निराश्रित गो आश्रय स्थल, मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजनाह्ण और पोषण मिशन के तहत कुपोषित परिवारों को प्रदान किये जा रहे गोवंश, गो संरक्षण में काफी प्रभावी है। पूरे प्रदेश में इन तीनों योजनाओं के सफल संचालन हेतु अभियान चलाकर आगे बढ़ाया जाए। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना को पूरे प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाया जाए। इस योजना के तहत निराश्रित गोवंश को पालने वाले किसानों को प्रति गोवंश 900 रुपये मासिक दिए जा रहे हैं। भौतिक सत्यापन के बाद योजना के लाभार्थी पशुपालकों को उनका भुगतान किया जाए।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि ठंड और भूख से किसी गोवंश की मौत न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार योजना में तेजी लाई जाए। इस योजना के तहत पशुपालक सरकारी पशु अस्पतालों में मवेशियों का कृत्रिम गर्भाधान करवा मवेशियों की नस्ल को सुधार सकते हैं। इससे दुग्ध का उत्पादन तो बढ़ेगा साथ ही मवेशियों की नई नस्ल भी तैयार हो जाएगी।
    इस अवसर पर पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव पशुपालन एवं दुग्ध विकास डॉ. रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशान्त त्रिवेदी, प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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