- दूध की बोतल का इस्तेमाल बीमारियों को बुलावा देने जैसा
- गर्भकाल से ही पोषण पर ध्यान देना शुरू करें : डीपीओ
हापुड़। बेहतर पोषण के लिए व्यवहार परिवर्तन हेतु 2018 से हर वर्ष सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। जनपद समेत पूरे सूबे में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। सामुदायिक स्तर पर पोषण के प्रति जागरूकता बढाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी प्रेरणा सिंह के निर्देशन में पोषण माह के अंतर्गत निर्धारित कार्यक्रमों के अलावा स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, इस संबंध में सभी आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं और सहायिकाओं को निर्देश जारी किए गए हैं। सामुदायिक स्तर पर गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्तनपान के फायदे बताए जा रहे हैं। डीपीओ ने बताया कि छह माह तक बच्चों को केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जा रही है। इस दौरान शिशु को पानी भी नहीं देना है। शिशु को पानी देने से संक्रमण का खतरा रहता है। बच्चा स्तनपान करने के बाद यदि दो घंटे सोता है तो समझ लेना चाहिए कि उसे पर्याप्त दूध प्राप्त हो रहा है। शिशु के लिए मां का दूध पर्याप्त हो, इसके लिए भी गर्भकाल की शुरूआत के साथ ही मां के पोषण पर ध्यान देना जरूरी होता है। मां के गर्भ में पल रहे शिशु के समुचित विकास के लिए भी यह जरूरी है। शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पहले 1000 की महत्ता बताई जाती है, इनमें से 270 दिन गर्भकाल के ही होते हैं। इसके बाद जन्म से दो वर्ष तक के 730 दिन। शिशु के जन्म के पहले 180 दिन केवल स्तनपान ही कराना है, यह शिशु के संपूर्ण विकास के लिए पर्याप्त होता है।
ध्यान रहे, किसी वजह से यदि मां अपने शिशु का स्तनपान न करा सकें तो भी उसे बोतल से दूध न पिलाएं। बोतल से दूध पिलाने से बच्चे को संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। यह डायरिया का कारण बन सकता है। ?जरूरी हो तो दूध पिलाने के लिए कटोरी-चम्मच का इस्तेमाल करें। कटोरी चम्मच की सहायता से मां का दूध भी पिलाया जा सकता है। स्तनपान कराने में किसी तरह की परेशानी होने पर सबसे पहले आंगनबाड़ी या आशा से संपर्क करें। वह स्तनपान कराने का सही तरीका भी बताएंगी और स्तनपान कराने में मदद भी करेंगी।