
नई दिल्ली । अगर आपको काल सर्प योग सता रहा हो तो व्यर्थ में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। आप केवल भोलेनाथ के प्रिय नाग वासुकी के दर्शन मात्र से ही काल सर्प दोष दूर कर सकते हैं। काल सर्पदोष हिंदू धर्म तथा भारतीय संस्कृति में सर्पों और नागों की पूजा का प्रचीन काल से ही प्रचलन है। स्वयं भगवान शिव नाग वासुकी को अपने गले में धारण करते हैं तो भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर विराजमान होते हैं।
देश में नाग देवताओं के अनेकों प्रसिद्ध मंदिर हैं और नाग देवता की पूजा के लिए विशेष रूप से उत्तर भारत में नाग पंचमी और दक्षिण भारत में नागल चैथी का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इन मंदिरों में से नाग देवता का एक प्रसिद्ध मंदिर है भोलेनाथ के महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग जो साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है। मान्यता है कि इस दिन इस मंदिर में दर्शन मात्र काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि यहां पर तक्षक नाग ने भगवान शिव की तपस्या कर अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था। तब से वो यहां पर भगवान शिव और पार्वती को आपनी छाया में रखते है। यह मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर के ऊपरी प्रकोष्ठ में बना हुआ है, जो कि साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। मान्यता है कि इस दिन नाग तक्षक स्वयं मंदिर में आते है और दर्शन करने वाले के काल सर्प दोष का निवारण करते हैं।
महाकाल की नगरी उज्जैन, भोलेनाथ के महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग के लिए तो प्रसिद्ध है ही। सावन के महीने में यहां महकाल का दर्शन करने और उनका आशीर्वाद पाने वालों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इसके आलावा भी यहां एक ऐसा मंदिर भी है जो साल में केवल एक बार सावन की नागपंचमी के दिन ही खुलता है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही कुण्डली में व्याप्त काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है। वो मंदिर है नाग चंद्रेश्वर मंदिर। इस मंदिर में भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा नाग तक्षक की छाया में विराजमान है।