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सम्मान समारोह में 25 से अधिक कवियों ने किया काव्य पाठ

  • राज कौशिक और ऋषि शर्मा हुए सम्मानित
  • कुंवर बेचैन के पुत्र व पुत्रवधु का भी अभिनंदन
    गाजियाबाद।
    काव्य कलश और गान्धर्व महाविद्यालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह व कविता सम्मेलन में 25 से अधिक रचनाकारों ने काव्यपाठ किया। इस मौके पर शायर राज कौशिक व हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उप सचिव प्रसिद्ध उदघोषक ऋषि कुमार शर्मा के साथ विश्व प्रसिद्ध कवि स्व. डॉ कुंवर बेचैन के पुत्र कवि प्रगीत कुँवर व पुत्रवधु कवयित्री भावना कुँवर को भी सम्मानित किया गया। ये
    दोनों हाल ही में आॅस्ट्रेलिया से आए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. तारा गुप्ता ने की। हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि सुनहरी लाल तुरंत मुख्य अतिथि और डॉ. अनिल बाजपेयी व राजीव सिंघल विशेष अतिथि थे। कार्यक्रम के संयोजक कवि डॉ. सतीश वर्द्धन ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन कवयित्री गार्गी कौशिक और कवयित्री सोनम यादव ने किया। काव्य कलश संस्था के अध्यक्ष राज चैतन्य और संयोजक रामवीर आकाश ने सभी कवियों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कवि राज कौशिक के ये शेर खूब पसंद किए गए-
    मिला जो उससे मुझे युं वो घाव ज्यादा था
    कि उससे मुझको भी थोड़ा लगाव ज्यादा था
    मैं उन दिनों में ही ज्यादा बिका हूं औरों से
    कि जिन दिनों मेरा औरों से भाव ज्यादा था
    कवि डॉ सतीश वर्द्धन कोई पंक्तियों पर दाद मिली-
    महके महके से गुलाबों में मिलूँगा तुमको।
    नींद आएगी तो ख्वाबों में मिलूँगा तुमको।।
    इतना मशहूर हुआ तुमसे मोहब्बत करके।
    मर गया मैं तो किताबों में मिलूँगा तुमको।।
    डॉ तारा गुप्ता ने पढ़ा –
    बड़े बदलाव की तैयारियों का यह जमाना है
    हमें तो प्रेम की मिट्टी से बस एक घर बनाना है
    यूं तिरछी आंख करने से निशाना चूक जाता है
    निगाहें सामने रखना अगर मकसद को पाना है
    कवि अनिल बाजपेयी ने पढ़ा-
    पिता शब्द इतना बड़ा जैसे अम्बर व्योम। अनिल अनूठा मंत्र ये जैसे पावन ओम।।
    कवि सुनहरी लाल तुरंत की पंक्तियां सराही गई-
    हम तो रोतों को घड़ीभर में हँसा लेते हैं ’
    जैसे मछुआरे मछलियों को फँसा लेते हैं ’।
    कोई जलता है तो जलता रहे जलन लेकर ’
    हम जहन्नुम में भी जन्नत का मजा लेते हैं ’।
    कवि राज चैतन्य ने सनातन धर्म को असहिष्णु कहने वाले राष्ट्रविरोधी लोगों को जवाब देते हुए पढ़ा-
    प्यार को हम प्यार से प्यार का सिला देते हैं।
    सर्वे भवन्तु सुखिन: में सारा जग मिला देते हैं।
    जानते हैं जहर ही बनेगा, उनके कण्ठ में जाकर,
    मान देकर हम,नागों को भी दूध पिला देते हैं।।

    कवि रामवीर आकाश, पीयूष मालवीय, कुशल कुशवाहा, राजकुमार शिशौदिया, बी एल बत्रा अमित्र, अनिमेष शर्मा, राजकुमार हिंदुस्तानी, मेजर डॉ प्राची गर्ग, गार्गी कौशिक, सोनम यादव ,तूलिका सेठ, प्रगीत कुँअर, भावना कुँअर, प्रेम कुमार पाल,अवनीत सिंह समर्थ, पुष्पेंद्र पंकज, क्षमा शर्मा, सीमा भड़ाना, डॉ मोनिका कौशिक, प्रशांत कुमार आदि ने काव्य पाठ किया। सुखबीर जैन, पुनीत गुप्ता केशव शर्मा भी उपस्थित रहे।

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