- स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने किया संयुक्त जिला चिकित्सालय का निरीक्षण
गाजियाबाद। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक जनपद में कोविड के इलाज की तैयारियों को लेकर मॉकड्रिल की गयी। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रांजल यादव संजय नगर स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने पहुंचे। प्रांजल यादव ने मॉकड्रिल के अलावा संयुक्त जिला चिकित्सालय में उपलब्ध अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का भी जायजा लिया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने बताया मॉकड्रिल में भी सब कुछ संतोष जनक रहा।
संयुक्त जिला चिकित्सालय के निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर, एसीएमओ प्रशासन डा. सुनील त्यागी और संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनोद चंद्र पांडेय आदि मौजूद रहे। मॉकड्रिल के दौरान करीब दस वर्ष की एक बच्ची को कोविड संक्रमण के चलते गंभीर हालत में संयुक्त जिला चिकित्सालय लाया गया। अस्पताल में उसे भर्ती करने से लेकर तमाम मेडिकल सुविधाएं दिए जाने की रिहर्सल की गयी। इस दौरान सचिव ने आॅक्सीजन प्लांट और पीकू-नीकू वार्ड का भी निरीक्षण किया। इसके साथ ही वह डायलिसिस सेंटर, स्टोर और पैथोलॉजी लैब भी देखने पहुंचे। उन्होंने मौके पर सीएमएस को निर्देश दिए कि लैब को और समृद्ध बनाया जाए ताकि तमाम एडवांस जांच यहां हो सकें और आम जनता को उसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा एंडवांस जांच करने के लिए जरूरी उपकरण और मशीन आदि की डिमांड शासन को भेजी जाएं।
सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया – सोमवार को संयुक्त जिला चिकित्सालय के अलावा कोविड के लिए शासन की ओर अधिगृहीत किए गए संतोष अस्पताल, लोनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मुरादनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, भोजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और डासना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी सफलतापूर्वक मॉकड्रिल संपन्न हुई। लोनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एसीएमओ डा. विश्राम सिंह की देखरेख में हुई मॉकड्रिल के दौरान आॅक्सीजन प्लांट की सक्रियता, दवाओं की उपलब्धता और अन्य ढांचागत सुविधाओं को परखा गया।
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर देख उत्साहित नजर आए प्रांजल यादव
मॉकड्रिल के लिए संयुक्त जिला चिकित्सालय पहुंचे सचिव प्रांजल यादव ने चिकित्सालय के निरीक्षण के दौरान ड्रिस्टिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीआईसी) भी देखा। सेंटर को देखकर वह काफी उत्साहित नजर आए। उन्होंने सेंटर पर उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी लेने के साथ ही सेंटर की कार्यप्रणाली को बड़े विस्तार से परखने का प्रयास किया। सेंटर की प्रभारी डा. रुचि मिश्रा ने बताया-सेंटर में हर सप्ताह करीब 25 नए और 35 पुराने बच्चे फालोअप के लिए आते हैं। यहां जन्मजात विकृतियों का निशुल्क उपचार आक्यूपेशनल थेरेपी के जरिए किया जाता है। इसके अलावा यदि किसी बच्चे को ऐसी कोई परेशानी है जिसका उपचार सेंटर में उपलब्ध नहीं है तो उसे रेफर किया जाता है ताकि बच्चों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा सके।
उन्होंने बताया बोतल से दूध पीने के चलते कई बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं, ऐसे बच्चों का भी उपचार सेंटर पर किया जाता है। डा. रुचि मिश्रा ने बताया हम चार-पांच दिन के बच्चे का चेकअप कर यह पता लगाते हैं कि बच्चे के तालुए की बनावट तो ठीक है, उसको आगे चलकर कोई समस्या होने का डर तो नहीं है। बच्चों को हर तीन माह पर चेकअप के लिए बुलाया जाता है ताकि किसी तरह की विकृति होने पर समय से उसका उपचार शुरू किया जा सके। डा. मिश्रा ने बताया कोई परेशानी न हो, फिर भी हर माता-पिता से नवजात को जांच के लिए डीआईसी लेकर आने की अपील करते हैं। डीआईसी में निजी और सरकारी, सभी अस्पतालों में जन्में बच्चों को निशुल्क दिखाया जा सकता है।