- मन को नियंत्रित करने में दैनिक योगाभ्यास सहायक: आर्य
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में बाजीगर का बांदरा विषय पर आॅनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। वैदिक विदुषी विमलेश बंसल ने कहा कि यह मन बड़ा चंचल है, इसे बड़ी कुशलता से बुद्धिपूर्वक काबू रखना होता है। उन्होंने मन व मन के क्रिया कलाप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मन क्या है? कैसे इसे मनुष्य वश में कर सकता है? आज हर व्यक्ति की समस्या यही है मन वश में नहीं होता। उन्होनें मदारी के खेल के रूपक द्वारा इस बात को एकदम सरलता से समझाने का प्रयास किया, जैसे- एक मदारी डमरू और एक छोटी सी रस्सी के द्वारा बंदर और बन्दरिया को वश में कर नृत्य करा जुटी दर्शक जनता को आनन्द दिलाता है और अपने प्रतिभा कौशल द्वारा अपनी आजीविका चला सुख से रहता है ठीक वैसे ही यह मनुष्य भी अपने मन रूपी बंदर को वश में निर्णयात्मक बुद्धि और शिवत्व से भरे शिवसंकल्प सूक्त रूपी डोरी से कर सकता है और वह मदारी जैसे अपनी प्रतिभा कला कौशल से सब दर्शक जनता को आनन्दित करता है वैसे ही मनुष्य का कर्तव्य है अपनी चेतन शक्ति को पहिचान, इस जड़ मन द्वारा प्रकृति का समुचित उपभोग करते हुए प्रकृति से परमात्मा में जोड़ स्वयं तो आनन्दित रहे ही अन्यों को भी आनन्दित करने वाला बने। क्योंकि यह मन ही बन्धन और मोक्ष का कारण है मन एव मनुष्याणां कारणं बन्ध मोक्षयो: व्यक्ति मन के द्वारा ही इस संसार में आता है और मन के द्वारा ही संसार को छोड़ परमपति के परमानन्द को प्राप्त करता है। आवश्यकता है ईश्वर की शिवमय वाणी शिवसंकल्प सूक्त को जीवन में आत्मसात कर, मन को पूर्णतया वश में कर एक कुशल मदारी बनने की व ईश्वर की वाणी का श्रवण मनन निदिध्यासन करते हुए प्रभु साक्षात्कार करने की। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। व्यक्ति को मन को नियंत्रित रखकर कार्य करने चाहिए तभी वह सफलता प्राप्त कर सकता है। मुख्य अतिथि रजनी गर्ग ने मन के क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला और कहा कि सब समस्याओं की जड़ ये मन ही है इसे ध्यान और योग से एकाग्र कर संतुलित किया जा सकता है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि मन को नियंत्रित करने में दैनिक योगाभ्यास सहायक है। अत: नियमित ध्यान योग साधना द्वारा मन को नियंत्रित करना चाहिए। गायिका प्रवीना ठक्कर, प्रवीन आर्या, रजनी चुघ, सुमित्रा गुप्ता, रवीन्द्र गुप्ता, जनक अरोड़ा, कुसुम भंडारी, सुषमा गुगलानी, डॉ. कल्पना रस्तोगी, संतोष चावला (लुधियाना), निर्मल विरमानी, विजय चोपड़ा आदि ने मधुर भजन सुनाये। आचार्य महेन्द्र भाई, देवेन्द्र गुप्ता, देवेन्द्र भगत,राजेश मेहंदीरत्ता, प्रकाशवीर शास्त्री, प्रतिभा कटारिया, विजय लक्ष्मी आर्या, स्वीटी गर्ग, डॉ. रचना चावला, करुणा चांदना, आस्था आर्या आदि उपस्थित थे।