कमल सेखरी
समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अगर लॉकडाउन लगाया जाए तो हम भी राजधानी दिल्ली में लाकडाउन लगाने को तैयार हैं। यह लिखित हलफनामा दिल्ली राज्य की सरकार ने आज सुबह देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। दिल्ली सरकार का कहना है कि कि राजधानी दिल्ली में जितना प्रदूषण उसकी अपनी सीमाओं के अंदर अपने कारणों से पैदा हो रहा है उससे अधिक प्रदूषण दिल्ली में आसपास के राज्यों से वहां आकर राजधानी को प्रभावित कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़े ही कड़े शब्दों में देश की केन्द्र सरकार और दिल्ली की राज्य सरकार को फटकार लगाई थी और सख्त आदेश देते हुए कहा था कि अगले दो दिन में यह सरकारें सुप्रीम कोर्ट को बताएं कि उन्होंने राजधानी में फैल रहे जानलेवा प्रदूषण को तुरंत रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए हैं। दिल्ली की सरकार ने अगले एक सप्ताह के लिए बच्चों के स्कूल बंद कर दिए, सरकारी दफ्तर बंद करके लोगों से घर से ही काम करने के निर्देश दिए, दिल्ली में चल रहे सभी भवन निर्माण कार्यों पर अविलंब रोक लगा दी। दिल्ली के उद्योगों को अगले कुछ दिन काम न करने के निर्देश दिए गए। दिल्ली सरकार का कहना था कि इतना कुछ करने पर भी वो इस स्तर तक पहुंचे वायु प्रदूषण पर उतना संतोषजनक नियंत्रण नहीं कर पा रही है जितना अपेक्षित है और लोगों को एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए अनिवार्य है। पंजाब और हरियाणा में वहां के किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली और फरीदाबाद, गाजियाबाद व नोएडा के उद्योगों की चिमनियों से निकल रहे धुएं पर तुरंत रोक लगाए जाने की मांग दिल्ली सरकार ने की और कहा कि यह रोक लगे बिना दिल्ली के प्रदूषण पर काबू पाया जाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। उसने फिर से दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए हैं कि उन्हें मंगलवार शाम तक सूचित किया जाए कि केन्द्र और राज्य की सरकारों ने क्या ठोस कदम उठाए हैं। यह अजीब विडंबना है कि एक ओर उत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा जानलेवा वायु प्रदूषण की चपेट में आकर पूरी तरह से पीड़ित है और वहीं हमारे देश के राजनेता अगले आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर जगह-जगह सियासी रैलियां कर रहे हैं। उत्तर भारत के इस पीड़ित क्षेत्र के करोड़ों लोगों की जान के खतरे की चिंता को दरकिनार कर विभिन्न दलों के सियासी नेता एक दूसरे के ऊपर सियासी कीचड़ उछालने में लगे हुए हैं और कहीं भी वायु प्रदूषण की इस असहनीय पीड़ा पर न चर्चा कर रहे हैं और न ही उनकी बातों में कोई चिंता नजर आ रही है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग जान बचाकर अपने घर छोड़-छोड़कर पलायन कर रहे हैं और शुद्ध वायु लेने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों और समुद्री तटों की तरफ दौड़-दौड़कर जा रहे हैं। हमारे पहाड़ों और समुद्री तटों के पर्यटक स्थलों पर इस समय भारी भीड़ जमा हो गई है जो कोरोना का भय मन से निकाल कर प्रदूषण से जान बचाने के लिए एकत्र हो रही है। दुनियाभर की बातें बनाकर लोगों को टहलाने और बहलाने वाली हमारी केन्द्र सरकार को इस भारी संकट की ओर गंभीर चिंतन करना चाहिए और सभी सियासी कार्य छोड़कर लोगों की जान बचाने की नजर से एक बड़ा अभियान चलाकर काम करना चाहिए ताकि लोगों को लगे कि उनकी सरकार उनके लिए चिंतित रहती है।