
मान्यताओं के अनुसार, शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने परमब्रह्म से साकार स्वरुप धारण किया था। इस तिथि को ही शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। इस वजह से हर शिवरात्रि को शिव और शक्ति की पूजा की जाती है। दोनों की कृपा से सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
प्रत्येक मास में एक शिवरात्रि आती है, जो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होती है। इस समय पंचांग का आषाढ़ मास और अंग्रेजी कैलेंडर का जुलाई माह चल रहा है। इस माह की शिवरात्रि आने वाली है। मासिक शिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। शिव जी को बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, चंदन, शहद, गंगाजल, गाय का दूध आदी अर्पित करते हैं, वहीं माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करते हैं। इस दिन लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
हिन्दुओ के प्रमुख त्यौहार महाशिवरात्रि का पुराणों में बहुत महत्वपूर्ण बतया गया है। शिवरात्रि (Shivratri) मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। माना जाता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी। इस दिन सृष्टि का आरम्भ महादेव का विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग के उदय से हुआ था। शिव का ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुआ था ये एक ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत था। इस अग्निलिंग का पता लगाने भगवान ब्रह्माजी हंस के रूप में अग्निलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे पर वो सफल नहीं हो पाए। भगवान विष्णु भी शिवलिंग के आधार को ढूंढ रहे थे उन्हें भी आधार नहीं मिला।