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2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य, दिया गया प्रशिक्षण

  • अब स्वास्थ्य विभाग पूरे साल चलाएगा हाऊस सर्वे एक्टिविटी
  • बिना पानी के भी दो साल तक जीवित रहता है एडीज मच्छर का लार्वा : डा. कीर्ति त्रिपाठी
    गाजियाबाद।
    वैक्टर जनित रोगों पर नकेल कसने के लिए जोनल कीट विज्ञानी डा. कीर्ति त्रिपाठी ने सोमवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में जनपद के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के एमओआईसी, लैब टैक्नीशियन और बेसिक हेल्थ वर्कर्स को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार के लिए जिम्मेदार मादा एडीज मच्छर बहुत ही शातिर किस्म का मच्छर है। यूं तो यह साफ पानी में पनपता है, लेकिन एडीज का लार्वा बिना पानी के भी दो साल तक जीवित रह सकता है। इसके विपरीत मादा एनाफिलीज मच्छर थोड़ा सुस्त होता है और कम काटता है। लेकिन खतरनाक दोनों हैं। मच्छरों के खिलाफ और प्रभावी ढंग से अभियान चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा- विश्व स्वास्थ्य संगठन का उद्देश्य 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का है, इसके लिए हमें वर्ष भर हाऊस सर्वे एक्टिविटी जारी रखनी होंगी। प्रशिक्षण में खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भवतोष शंखधर भी मौजूद रहे।
    डा. कीर्ति त्रिपाठी ने प्रशिक्षण सत्र में बताया कि मादा मच्छर का जीवन एक माह का होता है, जबकि नर मच्छर का जीवन काल मात्र 15 दिन का ही होता है और वैक्टर जनित बीमारियों का वाहक नहीं है। अपने जीवन काल में वह तीन से चार बार अंडे देती है, लेकिन एक बार में ही वह 250 से 300 अंडे देती है। इन अंडों को सेहने के लिए उनसे मानव रक्त की जरूरत होती है, मानव रक्त प्राप्त करने के लिए वह हमें काटती है। सीधे कहा जाए तो एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में 1000 से 1200 अंडे देती है। 1 से तीन दिन में मच्छर का अंडा, लार्वा बन जाता है, फिर प्यूपा और उसके बाद करीब 15 दिन में एडल्ट मच्छर। अंडा, लार्वा और प्यूपा पानी में रहते हैं और यही तीन स्टेज उस पर वार करने के लिए सही समय होती हैं। मच्छर का श्रोत पानी ही है, वहीं पर काबू करने का प्रयास करें। इसलिए कहते हैं अपने घर के आसपास पानी इकठ्ठा न होने दें। खाली पड़े कंटेनर में पानी जमा न होने दें।
    डा. त्रिपाठी ने बताया डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज मच्छर सबसे खतरनाक और शातिर है। यह पूरे साल मिलता है। साफ पानी में पनपता है। मानव जनित श्रोतों का उपयोग करता है। मलेरिया के लिए जिम्मेदार माना एनाफिलीज एक ही व्यक्ति को काटकर आराम करने चला जाता है जबकि एडीज मच्छर एक साथ कई लोगों को काटता है और उन सबको संक्रमित कर देता है। यहां यह भी बता दें कि हर एडीज मच्छर में वायरस होता है। यह कम उड़ता है और दिन में काटता है। इससे बचाव में मच्छरदानी का उतना महत्व नहीं है, जितना महत्व पूरे शरीर को ढककर रखने वाले कपड़ों का होता है। एडीज का अंडा काले रंग का होता है और लार्वा पानी के कंटेनर की तली में रहता है। एनाफिलीज का लार्वा जल की सतह पर रहता है। सभी एनाफिलीज में वायरस नहीं होता।

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